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इ॒मे तु॒रं म॒रुतो॑ रामयन्ती॒मे सहः॒ सह॑स॒ आ न॑मन्ति। इ॒मे शंसं॑ वनुष्य॒तो नि पा॑न्ति गु॒रु द्वेषो॒ अर॑रुषे दधन्ति ॥१९॥

English Transliteration

ime turam maruto rāmayantīme sahaḥ sahasa ā namanti | ime śaṁsaṁ vanuṣyato ni pānti guru dveṣo araruṣe dadhanti ||

Pad Path

इ॒मे। तु॒रम्। म॒रुतः॑। र॒म॒य॒न्ति॒। इ॒मे। सहः॑। सह॑सः। आ। न॒म॒न्ति॒। इ॒मे। शंस॑म्। व॒नु॒ष्य॒तः। नि। पा॒न्ति॒। गु॒रु। द्वेषः॑। अर॑रुषे। द॒ध॒न्ति॒ ॥१९॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:56» Mantra:19 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:25» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:19


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कैसे हों, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! जो (इमे) ये (मरुतः) पवनों के समान (तुरम्) शीघ्र (रमयन्ति) रमण कराते (इमे) यह (सहसः) बल से (सहः) बल को (आ, नमन्ति) सब ओर से नमते (इमे) यह (वनुष्यतः) क्रोध करनेवाले की (शंसम्) प्रशंसा करनेवाले को (नि, पान्ति) निरन्तर रखते और (अररुषे) पूरा रोष करनेवाले के लिए (द्वेषः) वैर (गुरु) बहुत (दधन्ति) धारण करते हैं, उन का आप निरन्तर सत्कार करो ॥१९॥
Connotation: - हे राजा ! जो सेना को अच्छी शिक्षा देकर शीघ्र विशेष रचना कर बली शत्रुओं को भी जीत उत्तमों की रक्षा कर दुष्टों में द्वेष फैलाते हैं, वे तुम को सत्कार करने चाहियें ॥१९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते कीदृशा भवेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! य इमे मरुतस्तुरं रमयन्तीमे सहसस्सह आ नमन्तीमे वनुष्यतः शंसं नि पान्त्यररुषे द्वेषो गुरु दधन्ति तांस्त्वं सततं सत्कृद्रक्ष ॥१९॥

Word-Meaning: - (इमे) (तुरम्) शीघ्रम् (मरुतः) वायव इव (रमयन्ति) (इमे) (सहः) बलम् (सहसः) बलात् (आ) (नमन्ति) (इमे) (शंसम्) प्रशंसकम् (वनुष्यतः) क्रुध्यतः। वनुष्यतीति क्रुध्यतिकर्मा। (निघं०२.१२)। (नि) (पान्ति) रक्षन्ति (गुरु) भारवत् (द्वेषः) अप्रीतिम् (अररुषे) अलंरोषकाय (दधन्ति) ॥१९॥
Connotation: - हे राजन्ये ! सेनां सुशिक्ष्य सद्यो व्यूह्य बलिष्ठानपि शत्रून् विजित्योत्तमान् संरक्ष्य दुष्टे द्वेषं विदधति ते त्वया सत्कर्तव्याः सन्ति ॥१९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! जो सेनेला चांगल्या प्रकारे शिक्षण देऊन तात्काळ विशेष व्यूहरचना करतो व बलवान शत्रूलाही जिंकून उत्तमांचे रक्षण व दुष्टांवर क्रोध करतो त्यांचा तू सत्कार कर. ॥ १९ ॥