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सस्तु॑ मा॒ता सस्तु॑ पि॒ता सस्तु॒ श्वा सस्तु॑ वि॒श्पतिः॑। स॒सन्तु॒ सर्वे॑ ज्ञा॒तयः॒ सस्त्व॒यम॒भितो॒ जनः॑ ॥५॥

English Transliteration

sastu mātā sastu pitā sastu śvā sastu viśpatiḥ | sasantu sarve jñātayaḥ sastv ayam abhito janaḥ ||

Pad Path

सस्तु॑। मा॒ता। सस्तु॑। पि॒ता। सस्तु॑। श्वा। सस्तु॑। वि॒श्पतिः॑। स॒सन्तु॑। सर्वे॑। ज्ञा॒तयः॑। सस्तु॑। अ॒यम्। अ॒भितः॑। जनः॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:55» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर गृहस्थ घर में क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो मनुष्य जैसे मेरे घर में मेरी (माता) माता (अभितः) सब ओर से (सस्तु) सोवे (पिता) पिता (सस्तु) सोवे (श्वा) कुत्ता (सस्तु) सोवे (विश्पतिः) प्रजापति (सस्तु) सोवे (सर्वे) सब (ज्ञातयः) सम्बन्धी सब ओर से (ससन्तु) सोवें (अयम्) यह (जनः) उत्तम विद्वान् सोवे, वैसे तुम्हारे घर में भी सोवें ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । मनुष्यों को ऐसे घर रचने चाहियें, जिनमें सब के सर्व व्यवहारों के करने को अलग-अलग शाला और घर होवें ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्गृहस्थाः गृहे किं किं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

ये मनुष्या यथा मद्गृहे मम माताऽभितः सस्तु पिता सस्तु श्वा सस्तु विश्पतिस्सस्तु सर्वे ज्ञातयोऽभितः ससन्त्वयं जनः सस्तु तथा युष्माकं गृहेऽपि ससन्तु ॥५॥

Word-Meaning: - (सस्तु) शयताम् (माता) (सस्तु) (पिता) (सस्तु) (श्वा) कुक्कुरः (सस्तु) (विश्पतिः) प्रजापतिः (ससन्तु) शयीरन् (सर्वे) (ज्ञातयः) सम्बन्धिनः (सस्तु) (अयम्) (अभितः) सर्वतः (जनः) उत्तमो विद्वान् ॥५॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैरीदृशानि गृहाणि निर्मातव्यानि यत्र सर्वेषां सर्वव्यवहारकरणाय पृथक् पृथक् शालागृहाणि च भवेयुः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. माणसांनी अशी घरे तयार केली पाहिजेत ज्यात सर्वांचे सर्व व्यवहार करण्यासाठी पृथक पृथक खोल्या असाव्यात. ॥ ५ ॥