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यद॑र्जुन सारमेय द॒तः पि॑शङ्ग॒ यच्छ॑से। वी॑व भ्राजन्त ऋ॒ष्टय॒ उप॒ स्रक्वे॑षु॒ बप्स॑तो॒ नि षु स्व॑प ॥२॥

English Transliteration

yad arjuna sārameya dataḥ piśaṅga yacchase | vīva bhrājanta ṛṣṭaya upa srakveṣu bapsato ni ṣu svapa ||

Pad Path

यत्। अ॒र्जु॒न॒। सा॒र॒मे॒य॒। द॒तः। पि॒श॒ङ्ग॒। यच्छ॑से। विऽइ॑व। भ्रा॒ज॒न्ते॒। ऋ॒ष्टयः॑। उप॑। स्रक्वे॑षु। बप्स॑तः। नि। सु। स्व॒प॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:55» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:22» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर गृहस्थ कहाँ वास करें, इस विषयको अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अर्जुन) अच्छे रूपयुक्त (सारमेय) सारवस्तुओं की उत्पत्ति करनेवाले (पिशङ्ग) पीछे-पीछे (यत्) जो आप (वीव) पक्षी के समान (दतः) दाँतों को (यच्छसे) नियम से रखते हो वह जो (स्रक्वेषु) प्राप्त उत्तम घरों में (बप्सतः) भक्षण करते हुए (ऋष्टयः) पहुँचानेवाले (उप, भ्राजन्ते) समीप प्रकाशित होते हैं उन में आप (नि, सु, स्वप) निरन्तर अच्छे प्रकार सोओ ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जहाँ आरोग्यपन से तुम्हारे दन्त आदि अवयव अच्छे प्रकार शोभते हैं, वहाँ ही निवास और शयन आदि व्यवहार को करो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्गृहस्थाः कुत्र वासं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

हे अर्जुन सारमेय ! पिशङ्ग यद्यस्त्वं वीव दतो यच्छसे स्रक्वेषु बप्सत ऋष्टय उप भ्राजन्ते स तेषु नि सु स्वप ॥२॥

Word-Meaning: - (यत्) (अर्जुन) सुखरूप (सारमेय) साराणां निर्मातः (दतः) दन्तान् (पिशङ्ग) पिशङ्गादिवर्णयुक्त (यच्छसे) (वीव) पक्षीव (भ्राजन्ते) प्रकाशन्ते (ऋष्टयः) प्रापकः (उप) (स्रक्वेषु) प्राप्तेषूत्तमेषु गृहेषु (बप्सतः) भक्षयतः (नि) (सु) (स्वप) शयस्व ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यत्रारोग्येन युष्माकं दन्तादयोऽवयवास्सुशोभन्ते तत्रैव निवासं शयनादिव्यवहारं च कुरुत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जेथे आरोग्यामुळे तुमचे दात वगैरे अवयव चांगल्या प्रकारे शोभून दिसतात तेथेच निवास व शयन करा. ॥ २ ॥