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आ॒दि॒त्याना॒मव॑सा॒ नूत॑नेन सक्षी॒महि॒ शर्म॑णा॒ शंत॑मेन। अ॒ना॒गा॒स्त्वे अ॑दिति॒त्वे तु॒रास॑ इ॒मं य॒ज्ञं द॑धतु॒ श्रोष॑माणाः ॥१॥

English Transliteration

ādityānām avasā nūtanena sakṣīmahi śarmaṇā śaṁtamena | anāgāstve adititve turāsa imaṁ yajñaṁ dadhatu śroṣamāṇāḥ ||

Pad Path

आ॒दि॒त्याना॑म्। अव॑सा। नूत॑नेन। स॒क्षी॒महि॑। शर्म॑णा। शम्ऽत॑मेन। अ॒ना॒गाःऽत्वे। अ॒दि॒ति॒ऽत्वे। तु॒रासः॑। इ॒मम्। य॒ज्ञम्। द॒ध॒तु॒। श्रोष॑माणाः ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:51» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब तीन ऋचावाले इक्यावनवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में किनके सङ्ग से क्या होता है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (तुरासः) शीघ्रकारी (श्रोषमाणाः) सुनते हुए (अनागास्त्वे) अनपराधनपन में (अदितित्वे) अखण्डित काम में (इमम्) इस (यज्ञम्) यज्ञ को (दधतु) धारण करें, उन (आदित्यानाम्) पूर्ण विद्यायुक्त विद्वानों की (अवसा) रक्षा आदि से (शन्तमेन) अतीव सुख करनेवाले (नूतनेन) नवीन (शर्मणा) विग्रह के साथ हम लोग (सक्षीमहि) बंधें ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे हम लोग विद्वानों के सङ्ग से अत्यन्त सुख पावें, वैसे ही तुम भी इसको पाओ ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अत्र केषां सङ्गेन किं भवतीत्याह ॥

Anvay:

ये तुरासः श्रोषमाणा अनागास्त्वे अदितित्व इमं यज्ञं दधतु तेषामादित्यानामवसा शन्तमेन नूतनेन शर्मणा सह वयं सक्षीमहि ॥१॥

Word-Meaning: - (आदित्यानाम्) पूर्णविद्यानां विदुषाम् (अवसा) रक्षणादिना (नूतनेन) नवीनेन (सक्षीमहि) सम्बध्नीयाम (शर्मणा) विग्रहेण (शन्तमेन) अतिशयेन सुखकर्त्रा (अनागास्त्वे) अनपराधित्वे (अदितित्वे) अखण्डितत्वे (तुरासः) शीघ्रकारिणः (इमम्) (यज्ञम्) (दधतु) (श्रोषमाणाः) श्रवणं कुर्वन्तः ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यथा वयं विद्वत्सङ्गेनात्यन्तं सुखं प्राप्नुमस्तथैव यूयमपीदं प्राप्नुत ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात सूर्याप्रमाणे विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वसूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! जसे आम्ही विद्वानांच्या संगतीने अत्यंत सुख प्राप्त करतो तसेच तुम्हीही ते प्राप्त करा. ॥ १ ॥