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र॒रे ह॒व्यं म॒तिभि॑र्य॒ज्ञिया॑नां॒ नक्ष॒त्कामं॒ मर्त्या॑ना॒मसि॑न्वन्। धाता॑ र॒यिम॑विद॒स्यं स॑दा॒सां स॑क्षी॒महि॒ युज्ये॑भि॒र्नु दे॒वैः ॥६॥

English Transliteration

rare havyam matibhir yajñiyānāṁ nakṣat kāmam martyānām asinvan | dhātā rayim avidasyaṁ sadāsāṁ sakṣīmahi yujyebhir nu devaiḥ ||

Pad Path

र॒रे। ह॒व्यम्। म॒तिऽभिः॑। य॒ज्ञिया॑नाम्। नक्ष॑त्। काम॑म्। मर्त्या॑नाम्। असि॑न्वन्। धाता॑। र॒यिम्। अ॒वि॒ऽद॒स्यम्। स॒दा॒ऽसाम्। स॒क्षी॒महि॑। युज्ये॑भिः। नु। दे॒वैः ॥६॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:39» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:6» Mantra:6 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (मतिभिः) प्राज्ञ मनुष्यों के साथ वा (युज्येभिः) योग करने योग्य (देवैः) विद्वानों के साथ (यज्ञियानाम्) यज्ञ सम्पादन करनेवाले (मर्त्यानाम्) मनुष्यों के (हव्यम्) ग्रहण करने योग्य (कामम्) काम को (असिन्वन्) निबन्ध करते हैं जिस (अविदस्यम्) अक्षीण विनाशरहित (सदासाम्) सदैव अच्छे प्रकार सेवने योग्य (रयिम्) धन को (धात) धारण करते हैं वा जो इन के साथ उस को (नक्षत्) व्याप्त होता है उस को मैं (ररे) देऊँ हम सब लोग इन के साथ उस को (नु) शीघ्र (सक्षीमहि) व्याप्त होवें ॥६॥
Connotation: - जो विद्वान् जिन मनुष्यों का काम पूरा करते हैं, वे पूर्णकाम होते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

ये मतिभिर्युज्येभिर्देवैस्सह यज्ञियानां मर्त्यानां हव्यं काममसिन्वन् यमविदस्यं सदासां रयिं धात य एतैस्सहैतं नक्षत् तमहं ररे वयमेतैस्सहैतं नु सक्षीमहि ॥६॥

Word-Meaning: - (ररे) दद्याम् (हव्यम्) ग्रहीतुमर्हम् (मतिभिः) प्राज्ञैर्मनुष्यैः सह (यज्ञियानाम्) यज्ञसम्पादकानाम् (नक्षत्) प्राप्नोति (कामम्) (मर्त्यानाम्) मनुष्याणाम् (असिन्वन्) बध्नन्ति (धाता) दधाति। अत्र द्व्यच० इति दीर्घः। (रयिम्) धनम् (अविदस्यम्) अक्षीणम् (सदासाम्) सदा संसेवनीयम् (सक्षीमहि) प्राप्नुयाम (युज्येभिः) योक्तुमर्हैः (नु) क्षिप्रम् (देवैः) विद्वद्भिः सह ॥६॥
Connotation: - ये विद्वांसोऽन्येषां मनुष्याणां काममलं कुर्वन्ति ते पूर्णकामा भवन्ति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान इतरांचे काम पूर्ण करतात ते पूर्ण काम असतात. ॥ ६ ॥