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आग्ने॒ गिरो॑ दि॒व आ पृ॑थि॒व्या मि॒त्रं व॑ह॒ वरु॑ण॒मिन्द्र॑म॒ग्निम्। आर्य॒मण॒मदि॑तिं॒ विष्णु॑मेषां॒ सर॑स्वती म॒रुतो॑ मादयन्ताम् ॥५॥

English Transliteration

āgne giro diva ā pṛthivyā mitraṁ vaha varuṇam indram agnim | āryamaṇam aditiṁ viṣṇum eṣāṁ sarasvatī maruto mādayantām ||

Pad Path

आ। अ॒ग्ने॒। गिरः॑। दि॒वः। आ। पृ॒थि॒व्याः। मि॒त्रम्। व॒ह॒। वरु॑णम्। इन्द्र॑म्। अ॒ग्निम्। आ। अ॒र्य॒मण॑म्। अदि॑तिम्। विष्णु॑म्। ए॒षा॒म्। सर॑स्वती। म॒रुतः॑। मा॒द॒य॒न्ता॒म् ॥५॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:39» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:6» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन क्या जान कर क्या दूसरों को जतलावें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! आप (दिवः) बिजुली और सूर्यादि प्रकाशवान् पदार्थों की विद्या का प्रकाश करनेवाली वा (पृथिव्याः) भूमि आदि पदार्थों का प्रकाश करनेवाली (गिरः) सुन्दर शिक्षित वाणियों को (आ, वह) प्राप्त कीजिये (मित्रम्) मित्र (वरुणम्) अतिश्रेष्ठ (इन्द्रम्) परमैश्वर्यवान् राजा (अग्निम्) अग्नि (अर्यमणम्) न्यायाधीश (अदितिम्) अन्तरिक्ष (विष्णुम्) व्यापक वायु को (आ) प्राप्त कीजिये और जो (एषाम्) इनकी (सरस्वती) विद्यायुक्त वाणी उस को जान कर हमारे अर्थ (आ) प्राप्त कीजिये, हे (मरुतः) विद्वान् मनुष्यो ! उक्त विद्या को देकर हम लोगों को आप (मादयन्ताम्) आनन्दित कीजिये ॥५॥
Connotation: - जो मनुष्य बिजुली आदि की विद्या को प्राप्त होकर औरों को प्राप्त कराते हैं, वे सब का आनन्द करनेवाले होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं विज्ञाय किं ज्ञापयेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे अग्ने त्वं दिवः पृथिव्या गिर आ वह मित्रं वरुणमिन्द्रमग्निमर्यमणमदितिं विष्णुमावहैषां सरस्वती तां च विदित्वाऽस्मदर्थमा वह, हे विद्वांसो ! मरुत एतद्विद्यां दत्वाऽस्मान् भवन्तो मादयन्ताम् ॥५॥

Word-Meaning: - (आ) (अग्ने) विद्वन् (गिरः) सुशिक्षिता वाचः (दिवः) विद्युत् सूर्यादेर्विद्याप्रकाशिकाः (आ) (पृथिव्याः) भूम्यादेः (मित्रम्) सखायम् (वह) (वरुणम्) अतिश्रेष्ठम् (इन्द्रम्) परमैश्वर्यवन्तं राजानम् (अग्निम्) पावकम् (आ) (अर्यमणम्) न्यायाधीशम् (अदितिम्) अन्तरिक्षम् (विष्णुम्) व्यापकं वायुम् (एषाम्) (सरस्वती) विद्यायुक्ता वाणी (मरुतः) मनुष्याः (मादयन्ताम्) आनन्दयन्तु ॥५॥
Connotation: - ये मनुष्या विद्युदादिविद्यां प्राप्यान्यान् प्रापयन्ति ते सर्वेषामानन्दकरा भवन्ति ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे विद्युत इत्यादी विद्या प्राप्त करून इतरांना प्राप्त करवितात ती सर्वांना आनंद देणारी असतात. ॥ ५ ॥