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शं नो॒ अदि॑तिर्भवतु व्र॒तेभिः॒ शं नो॑ भवन्तु म॒रुतः॑ स्व॒र्काः। शं नो॒ विष्णुः॒ शमु॑ पू॒षा नो॑ अस्तु॒ शं नो॑ भ॒वित्रं॒ शम्व॑स्तु वा॒युः ॥९॥

English Transliteration

śaṁ no aditir bhavatu vratebhiḥ śaṁ no bhavantu marutaḥ svarkāḥ | śaṁ no viṣṇuḥ śam u pūṣā no astu śaṁ no bhavitraṁ śam v astu vāyuḥ ||

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Pad Path

शम्। नः॒। अदि॑तिः। भ॒व॒तु॒। व्र॒तेभिः॑। शम्। नः॒। भ॒व॒न्तु॒। म॒रुतः॑। सु॒ऽअ॒र्काः। शम्। नः॒। विष्णुः॑। शम्। ऊँ॒ इति॑। पू॒षा। नः॒। अ॒स्तु॒। शम्। नः॒। भ॒वित्र॑म्। शम्। ऊँ॒ इति॑। अ॒स्तु॒। वा॒युः ॥९॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:35» Mantra:9 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:29» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर शिक्षकजनों को शिष्यजन अच्छी शिक्षा दे कैसे सिद्ध करने चाहियें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशक विद्वानो ! तुम जैसे (अदितिः) विदुषी माता (व्रतेभिः) अच्छे कामों के साथ (नः) हम लोगों को (शम्) सुखरूप (भवतु) हो और (स्वर्काः) सुन्दर मन्त्र विचार हैं जिनके वे (मरुतः) प्राणों के समान प्रियजन अच्छे कामों के साथ (शम्) सुखरूप (भवन्तु) होवें (विष्णुः) व्यापक जगदीश्वर (नः) हम लोगों के =को(शम्) सुखरूप हो (पूषा) पुष्टि करनेवाला ब्रह्मचर्य्यादि व्यवहार (नः) हमारे लिये (शम्) सुखरूप (उ) ही (अस्तु) हो (भवित्रम्) होनहार काम (नः) हमारे लिये (शम्) सुखरूप होवे और (वायुः) पवन (नः) हमारे लिये (शम्) सुखरूप (उ) ही (अस्तु) हो वैसी शिक्षा देओ ॥९॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । माता आदि विदुषियों को कन्या और विद्वान् पिता आदि को पुत्र अच्छे प्रकार शिक्षा देने योग्य हैं, जिससे यह भूमि से ले के ईश्वर पर्यन्त पदार्थों की विद्याओं को पाके धार्मिक होकर सब मनुष्यों को निरन्तर आनन्दित करें ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः शिक्षकैः शिष्यान् संशिक्ष्य कीदृशाः सम्पादनीया इत्याह ॥

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशका विद्वांसो ! यूयं यथाऽदितिर्व्रतेभिस्सह नश्शं भवतु स्वर्का मरुतो व्रतेभिस्सह नः शं भवन्तु विष्णुर्नः शं भवतु पूषा नः शम्वस्तु भवित्रं नः शं भवतु वायुर्नः शमु अस्तु तथा शिक्षध्वम् ॥९॥

Word-Meaning: - (शम्) (नः) (अदितिः) विदुषी माता (भवतु) (व्रतेभिः) सत्कर्मभिः (शम्) (नः) (भवन्तु) (मरुतः) प्राणा इव प्रिया मनुष्याः (स्वर्काः) शोभना अर्का मन्त्रा विचारा येषान्ते (शम्) (नः) (विष्णुः) व्यापको जगदीश्वरः (शम्) (उ) (पूषा) पुष्टिकरब्रह्मचर्यादिव्यवहारः (नः) (अस्तु) (शम्) (नः) (भवित्रम्) भवितव्यम् (शम्) (उ) (अस्तु) (वायुः) पवनः ॥९॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मात्रादिभिर्विदुषीभिः कन्या पित्रादिभिर्विद्वद्भिः पुत्रास्सम्यक् शिक्षणीया यदेते भूमिमारभ्येश्वरपर्यन्तपदार्थानां विद्याः प्राप्य धर्मिष्ठा भूत्वा सर्वान् मनुष्यादीन् सततमानन्दयेयुः ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. विदुषी मातांनी कन्यांना व विद्वान पित्यांनी पुत्रांना चांगल्या प्रकारे शिक्षण द्यावे. ज्यामुळे त्यांनी भूमीपासून ईश्वरापर्यंत पदार्थांची विद्या प्राप्त करून धार्मिक बनून सर्व माणसांना निरंतर आनंदित करावे. ॥ ९ ॥