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शं नो॑ दे॒वा वि॒श्वेदे॑वा भवन्तु॒ शं सर॑स्वती स॒ह धी॒भिर॑स्तु। शम॑भि॒षाचः॒ शमु॑ राति॒षाचः॒ शं नो॑ दि॒व्याः पार्थि॑वाः॒ शं नो॒ अप्याः॑ ॥११॥

English Transliteration

śaṁ no devā viśvadevā bhavantu śaṁ sarasvatī saha dhībhir astu | śam abhiṣācaḥ śam u rātiṣācaḥ śaṁ no divyāḥ pārthivāḥ śaṁ no apyāḥ ||

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Pad Path

शम्। नः॒। दे॒वाः। वि॒श्वऽदे॑वाः। भ॒व॒न्तु॒। शम्। सर॑स्वती। स॒ह। धी॒भिः। अ॒स्तु॒। शम्। अ॒भि॒ऽसाचः॑। शम्। ऊँ॒ इति॑। रा॒ति॒ऽसाचः॑। शम्। नः॒। दि॒व्याः। पार्थि॑वाः। शम्। नः॒। अप्याः॑ ॥११॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:35» Mantra:11 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:30» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य किनको प्राप्त हों, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हमारे शुभ गुणों के आचार से (देवाः) विद्यादि शुभ गुणों के देनेवाले (विश्वदेवाः) सब विद्वान् जन (नः) हम लोगों के लिये (शम्) सुखरूप (भवन्तु) होवें (सरस्वती) विद्या सुशिक्षायुक्त वाणी (धीभिः) उत्तम बुद्धियों के (सह) साथ (नः) हम लोगों के लिये (शम्) सुखरूप (अस्तु) हो (अभिषाचः) जो आभ्यन्तर आत्मा में सम्बन्ध करते हैं वे (नः) हम लोगों के लिये (शम्) सुखरूप हों और (रातिषाचाः) विद्यादि दान का सम्बन्ध करनेवाले हम लोगों के लिये (शम्) सुखरूप (उ) ही होवें तथा (दिव्याः) शुभ गुण-कर्म-स्वभावयुक्त (पार्थिवाः) पृथिवी में विदित राजजन वा बहुमूल्य पदार्थ (शम्) सुखरूप और (अप्याः) जलों में उत्पन्न हुए नौकाओं से जानेवाले वा मोती आदि पदार्थ हम लोगों के लिये (शम्) सुखरूप हों ॥११॥
Connotation: - मनुष्यों को ऐसा आचार करना चाहिये जिससे सब को सब विद्वान् जन, सुन्दर बुद्धि और वाणी, विद्या देनेवाले योगीजन राजा और शिल्पी जन तथा दिव्य पदार्थ प्राप्त हों ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः कान् प्राप्नुयुरित्याह ॥

Anvay:

अस्मच्छुभाचारेण देवा विश्वदेवा नः शं भवन्तु सरस्वती धीभिः सह नः शमस्त्वभिषाचः नः शं भवन्तु रातिषाचोनः शमु भवन्तु दिव्याः पार्थिवाः शमप्याश्च नः शं भवन्तु ॥११॥

Word-Meaning: - (शम्) (नः) (देवाः) विद्यादिशुभगुणानां दातारः (विश्वदेवाः) सर्वे विद्वांसः (भवन्तु) (शम्) (सरस्वती) विद्यासुशिक्षायुक्ता वाक् (सह) (धीभिः) प्रज्ञाभिः सह (अस्तु) (शम्) (अभिषाचः) य आभ्यन्तर आत्मनि सचन्ते सम्बध्नन्ति ते (शम्) (उ) (रातिषाचः) ये रातिं विद्यादिदानं सचन्ते ते (शम्) (नः) (दिव्याः) शुद्धगुणकर्मस्वभावाः (पार्थिवाः) पृथिव्यां विदिता राजानः बहुमूल्याः पदार्था वा (शम्) (नः) (अप्याः) अप्सु भवा नौयायिनो मुक्ताद्याः पदार्था वा ॥११॥
Connotation: - मनुष्यैरीदृशः श्रेष्ठाऽऽचारः कर्त्तव्यो येन सर्वान् सर्वे विद्वांसः शोभना प्रज्ञा वाक् च योगिनो विद्यादातारः राजानः शिल्पिनश्च तथा दिव्याः पदार्थाः प्राप्नुयुः ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी असे आचरण केले पाहिजे की ज्यामुळे सर्वांना विद्वान माणसे, चांगली बुद्धी व वाणी, विद्या देणारे योगी, राजा व कारागीर मिळाले पाहिजेत. ॥ ११ ॥