प्र शु॒क्रैतु॑ दे॒वी म॑नी॒षा अ॒स्मत्सुत॑ष्टो॒ रथो॒ न वा॒जी ॥१॥
pra śukraitu devī manīṣā asmat sutaṣṭo ratho na vājī ||
प्र। शु॒क्रा। ए॒तु॒। दे॒वी। म॒नी॒षा। अ॒स्मत्। सुऽत॑ष्टः। रथः॑। न। वा॒जी ॥१॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब कन्याजन किनसे विद्या को पावें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ कन्याः काभ्यो विद्याः प्राप्नुयुरित्याह ॥
शुक्रा देवी कन्याऽस्मत्सुतष्टो वाजी रथो न मनीषाः प्रैतु ॥१॥
MATA SAVITA JOSHI
या सूक्तात अध्येता, अध्यापक, स्त्री-पुरुष, राजा, प्रजा, सेना, सेवक व विश्वदेव यांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.