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उ॒तासि॑ मैत्रावरु॒णो व॑सिष्ठो॒र्वश्या॑ ब्रह्म॒न्मन॒सोऽधि॑ जा॒तः। द्र॒प्सं स्क॒न्नं ब्रह्म॑णा॒ दैव्ये॑न॒ विश्वे॑ दे॒वाः पुष्क॑रे त्वाददन्त ॥११॥

English Transliteration

utāsi maitrāvaruṇo vasiṣṭhorvaśyā brahman manaso dhi jātaḥ | drapsaṁ skannam brahmaṇā daivyena viśve devāḥ puṣkare tvādadanta ||

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Pad Path

उ॒त। अ॒सि॒। मै॒त्रा॒व॒रु॒णः। व॒सि॒ष्ठ॒। उ॒र्वश्या॑। ब्र॒ह्म॒न्। मन॑सः। अधि॑। जा॒तः। द्र॒प्सम्। स्क॒न्नम्। ब्रह्म॑णा। दैव्ये॑न। विश्वे॑। दे॒वाः। पुष्क॑रे। त्वा॒। अ॒द॒द॒न्त॒ ॥११॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:33» Mantra:11 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (ब्रह्मन्) समस्त वेदों को जाननेवाले (वसिष्ठ) पूर्ण विद्वन् ! जो (मैत्रावरुणः) प्राण और उदान के वेत्ता आप (उर्वश्याः) विशेष विद्या से (उत) और (मनसः) मन से (अधि, जातः) अधिकतर उत्पन्न (असि) हुए हो उन (त्वा) आपको (विश्वे) समस्त (देवाः) विद्वान् जन (ब्रह्मणा) बहुत धन से और (दैव्येन) विद्वानों ने किये हुए व्यवहार से (पुष्करे) अन्तरिक्ष में (स्कन्नम्) प्राप्त (द्रप्सम्) मनोहर पदार्थ को (अददन्त) देवें ॥११॥
Connotation: - जो मनुष्य शुद्धान्तःकरण से प्राण और उदान के तुल्य और निरन्तर मनोहर विद्या को ग्रहण करते हैं, वे विद्वानों के समान आनन्दित होते हैं ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे ब्रह्मन् वसिष्ठ ! यो मैत्रावरुणस्त्वमुर्वश्या उत मनसोऽधिजातोऽसि तं त्वा विश्वे देवा ब्रह्मणा दैव्येन पुष्करे स्कन्नं द्रप्समददन्त ॥११॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (असि) (मैत्रावरुणः) मित्रावरुणयोः प्राणोदानयोरयं वेत्ता (वसिष्ठ) पूर्णविद्वन् (उर्वश्याः) विशेषविद्यायाः। उर्वशीति पदनाम। (निघं०४.२)। (ब्रह्मन्) सकलवेदवित् (मनसः) अन्तःकरणपुरुषार्थात् (अधि) (जातः) प्रादुर्भूतः (द्रप्सम्) कमनीयम् (स्कन्नम्) प्राप्तम् (ब्रह्मणा) बृहता धनेन (दैव्येन) देवैर्विद्वद्भिः कृतेन (विश्वे) सर्वे (देवाः) विद्वांसः (पुष्करे) अन्तरिक्षे। पुष्करमित्यन्तरिक्षनाम। (निघं०१.३)। (त्वा) त्वाम् (अददन्त) दद्युः ॥११॥
Connotation: - ये मनुष्याः शुद्धान्तःकरणेन प्राणोदानवत्सततं पुरुषार्थेन कमनीयां विद्यां गृह्णन्ति ते विद्वद्वदानन्दिता भवन्ति ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे शुद्ध अंतःकरणाने प्राण उदानाप्रमाणे निरंतर चांगली विद्या ग्रहण करतात ती विद्वानांप्रमाणे आनंदित होतात. ॥ ११ ॥