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कस्तमि॑न्द्र॒ त्वाव॑सु॒मा मर्त्यो॑ दधर्षति। श्र॒द्धा इत्ते॑ मघव॒न्पार्ये॑ दि॒वि वा॒जी वाजं॑ सिषासति ॥१४॥

English Transliteration

kas tam indra tvāvasum ā martyo dadharṣati | śraddhā it te maghavan pārye divi vājī vājaṁ siṣāsati ||

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Pad Path

कः। तम्। इ॒न्द्र॒। त्वाऽव॑सुम्। आ। मर्त्यः॑। द॒ध॒र्ष॒ति॒। श्र॒द्धा। इत्। ते॒। म॒घ॒ऽव॒न्। पार्ये॑। दि॒वि। वा॒जी। वाज॑म्। सि॒सा॒स॒ति॒ ॥१४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:32» Mantra:14 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:19» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य किससे रक्षा पाया हुआ कैसा होता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मघवन्) बहुत ऐश्वर्यवाले (इन्द्र) धार्मिक राजा ! (कः) कौन (मर्त्यः) मनुष्य (तम्) उस (त्वावसुम्) तुम से पाये हुए धनवाले का (दधर्षति) तिरस्कार करता है (ते) आपके (पार्ये) पालना करने योग्य वा पूर्ण (दिवि) प्रकाश में कौन (वाजी) विज्ञानवान् (वाजम्) विज्ञान को तथा (श्रद्धा) सत्य में प्रीति श्रद्धा (इत्) ही को (आ, सिषासति) अलग करना चाहता है ॥१४॥
Connotation: - जिसकी रक्षा धार्मिक राजा करता है, उसका तिरस्कार कौन कर सकता है ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यः केन रक्षितः कीदृशो भवतीत्याह ॥

Anvay:

हे मघवन्निन्द्र को मर्त्यो तं त्वावसुं दधर्षति ते पार्ये दिवि को वाजी वाजं श्रद्धा श्रद्धामिदासिषासति ॥१४॥

Word-Meaning: - (कः) (तम्) (इन्द्र) धार्मिक राजन् (त्वावसुम्) त्वया प्राप्तधनम् (आ) (मर्त्यः) (दधर्षति) तिरस्करोति (श्रद्धा) सत्ये प्रीतिः (इत्) एव (ते) तव (मघवन्) बह्वैश्वर्य (पार्ये) पालनीये पूर्णे वा (दिवि) प्रकाशे (वाजी) विज्ञानवान् (वाजम्) विज्ञानम् (सिषासति) विभक्तुमिच्छति ॥१४॥
Connotation: - यस्य रक्षां धार्मिको राजा करोति तं तिरस्कर्तुं कः शक्नोति ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्याचे रक्षण धार्मिक राजा करतो त्याचा तिरस्कार कोणी करू शकत नाही. ॥ १४ ॥