नकिः॑ सु॒दासो॒ रथं॒ पर्या॑स॒ न री॑रमत्। इन्द्रो॒ यस्या॑वि॒ता यस्य॑ म॒रुतो॒ गम॒त्स गोम॑ति व्र॒जे ॥१०॥
nakiḥ sudāso ratham pary āsa na rīramat | indro yasyāvitā yasya maruto gamat sa gomati vraje ||
नकिः॑। सु॒ऽदासः॑। रथ॑म्। परि॑। आ॒स॒। न। री॒र॒म॒त्। इन्द्रः॑। यस्य॑। अ॒वि॒ता। यस्य॑। म॒रुतः॑। गम॑त्। सः। गोऽम॑ति। व्र॒जे ॥१०॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर किसका किससे क्या हो, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः कस्य केन किं स्यादित्याह ॥
यस्येन्द्रोऽविता गमद्यस्य मरुतो रक्षकाः सन्ति गोमति व्रजे गमत् यस्येन्द्रो रक्षिता नास्ति स सुदासो रथं नकिः पर्यास स न रीरमत् ॥१०॥
MATA SAVITA JOSHI
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