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इन्द्रं॒ वाणी॒रनु॑त्तमन्युमे॒व स॒त्रा राजा॑नं दधिरे॒ सह॑ध्यै। हर्य॑श्वाय बर्हया॒ समा॒पीन् ॥१२॥

English Transliteration

indraṁ vāṇīr anuttamanyum eva satrā rājānaṁ dadhire sahadhyai | haryaśvāya barhayā sam āpīn ||

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Pad Path

इन्द्र॑म्। वाणीः॑। अनु॑त्तऽमन्युम्। ए॒व। स॒त्रा। राजा॑नम्। द॒धि॒रे॒। सह॑ध्यै। हरि॑ऽअश्वाय। ब॒र्ह॒य॒। सम्। आ॒पीन् ॥१२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:31» Mantra:12 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:16» Mantra:6 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर कैसे मनुष्य को सत्य वाणी सेवती है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् ! जो (वाणीः) सकल विद्यायुक्त वाणी (सत्रा) सत्य से (अनुत्तमन्युम्) जिसका प्रेरणा नहीं किया गया क्रोध उस (राजानम्) प्रकाशमान (इन्द्रम्) अविद्या विदीर्ण करनेवाले विद्वान् को (सहध्यै) सहने को (दधिरे) धारण करते तथा (आपीन्) जो व्याप्त होते हैं उनको (सम्) अच्छे प्रकार धारण करते हैं (एव) उसी (हर्यश्वाय) प्रशंसित मनुष्य और घोड़ोंवाले के लिये सब विद्याओं को (बर्हय) बढ़ाओ ॥१२॥
Connotation: - जिस न उत्पन्न हुए क्रोधवाले, जितेन्द्रिय राजा को सकल शास्त्रयुक्त वाणी व्याप्त होती है, वही सत्य न्याय से प्रजा पालने योग्य होता है ॥१२॥ इस सूक्त में इन्द्र, विद्वान् और राजा के काम का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की इससे पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ संगति जाननी चाहिये ॥ यह इकतीसवाँ सूक्त और सोलहवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः कीदृशं नरं सत्या वाक्सेवत इत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! या वाणीः सत्राऽनुत्तमन्युं राजानमिन्द्रं सहध्यै दधिरे आपीन् सन् दधिरे तस्मा एव हर्यश्वाय सर्वा विद्या बर्हय ॥१२॥

Word-Meaning: - (इन्द्रम्) अविद्याविदारकमाप्तविद्वांसम् (वाणीः) सकलविद्यायुक्ता वाचः (अनुत्तमन्युम्) न उत्तो न प्रेरितो मन्युः क्रोधो यस्य तम् (एव) (सत्रा) सत्येन (राजानम्) (दधिरे) दधति (सहध्यै) सोढुम् (हर्यश्वाय) प्रशंसितमनुष्याश्वादियुक्ताय (बर्हय) वर्धय। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (सम्) (आपीन्) य आप्नुवन्ति तान् ॥१२॥
Connotation: - यमजातक्रोधं जितेन्द्रियं राजानं सकलशास्त्रयुक्ता वागाप्नोति स एव सत्येन न्यायेन प्रजाः पालयितुमर्हतीति ॥१२॥ अत्रेन्द्रविद्वद्राजकृत्यवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इत्येकत्रिंशत्तमं सूक्तं षोडशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो अक्रोधी व जितेन्द्रिय राजा संपूर्ण शास्त्रांनी युक्त वाणी बोलतो तोच खऱ्या न्यायाने प्रजेचे पालन करतो. ॥ १२ ॥