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उ॒रु॒व्यच॑से म॒हिने॑ सुवृ॒क्तिमिन्द्रा॑य॒ ब्रह्म॑ जनयन्त॒ विप्राः॑। तस्य॑ व्र॒तानि॒ न मि॑नन्ति॒ धीराः॑ ॥११॥

English Transliteration

uruvyacase mahine suvṛktim indrāya brahma janayanta viprāḥ | tasya vratāni na minanti dhīrāḥ ||

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Pad Path

उ॒रु॒ऽव्यच॑से। म॒हिने॑। सु॒ऽवृ॒क्तिम्। इन्द्रा॑य। ब्रह्म॑। ज॒न॒य॒न्त॒। विप्राः॑। तस्य॑। व्र॒तानि॑। न। मि॒न॒न्ति॒। धीराः॑ ॥११॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:31» Mantra:11 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:16» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे विद्वान् जन क्या उत्पन्न करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (धीराः) ध्यानवान् (विप्राः) विद्वानो ! आप लोग (उरुव्यचसे) बहुत विद्याओं में व्यापक (महिने) सत्कार करने योग्य (इन्द्राय) परमैश्वर्यवान् के लिये (सुवृक्तिम्) उत्तमता से अन्याय को वर्जते हैं जिससे उसको और (ब्रह्म) धन वा अन्न को (जनयन्त) उत्पन्न करते हैं (तस्य) उनके (व्रतानि) सत्य भाषण आदि कर्म कोई (न) नहीं (मिनन्ति) नष्ट करते हैं ॥११॥
Connotation: - जो राजा के लिये बहुत धन उत्पन्न करते और असत्य आचरण को निवृत्त कर सत्य आचरण प्रसिद्ध करते हैं, वे पूज्य होते हैं ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते विद्वांसः किमुत्पादयेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे धीरा विप्रा ! भवन्त उरुव्यचसे महिन इन्द्राय सुवृक्तिं ब्रह्म च जनयन्त तस्य व्रतानि केऽपि न मिनन्ति ॥११॥

Word-Meaning: - (उरुव्यचसे) बहुषु विद्यासु व्यापकाय (महिने) सत्कर्त्तव्याय (सुवृक्तिम्) सुष्ठु वर्जन्त्यन्यायं यया ताम् (इन्द्राय) परमैश्वर्याय (ब्रह्म) धनमन्नं वा (जनयन्त) जनयन्ति (विप्राः) मेधाविनः (तस्य) (व्रतानि) सत्यभाषणादीनि कर्माणि (न) निषेधे (मिनन्ति) हिंसन्ति (धीराः) ध्यानवन्तः ॥११॥
Connotation: - ये राज्ञे महद्धनं जनयन्त्यसत्याचारं वर्जयित्वा सत्याचारं प्रसेधयन्ति ते पूज्या जायन्ते ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे राजासाठी पुष्कळ धन कमावतात व असत्याचरण सोडून सत्याचरणी बनतात ते पूज्य ठरतात. ॥ ११ ॥