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ब्रह्म॑न्वीर॒ ब्रह्म॑कृतिं जुषा॒णो॑ऽर्वाची॒नो हरि॑भिर्याहि॒ तूय॑म्। अ॒स्मिन्नू॒ षु सव॑ने मादय॒स्वोप॒ ब्रह्मा॑णि शृणव इ॒मा नः॑ ॥२॥

English Transliteration

brahman vīra brahmakṛtiṁ juṣāṇo rvācīno haribhir yāhi tūyam | asminn ū ṣu savane mādayasvopa brahmāṇi śṛṇava imā naḥ ||

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Pad Path

ब्रह्म॑न्। वी॒र॒। ब्रह्म॑ऽकृतिम्। जु॒षा॒णः। अ॒र्वा॒ची॒नः। हरि॑ऽभिः। या॒हि॒। तूय॑म्। अ॒स्मिन्। ऊँ॒ इति॑। सु। सव॑ने। मा॒द॒य॒स्व॒। उप॑। ब्रह्मा॑णि। शृ॒ण॒वः॒। इ॒मा। नः॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:29» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:13» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (ब्रह्मन्) चार वेदों के जाननेवाले (वीर) समस्त शुभगुणों में व्याप्त ! (ब्रह्मकृतिम्) परमेश्वर की कृति जो संसार इसको (जुषाणः) सेवते हुए (अर्वाचीनः) वर्त्तमान समय में प्रसिद्ध हुए आप (हरिभिः) अच्छे गुणों के आकर्षण करनेवाले मनुष्यों के साथ (तूयम्) शीघ्र (याहि) जाओ (अस्मिन्) इस (सवने) सवन में अर्थात् जिस कर्म से पदार्थों को सिद्ध करते हैं उसमें हम लोगों को (मादयस्व) आनन्दित कीजिये (नः) हमारे (इमा) इन (ब्रह्माणि) पढ़े हुए वेदवचनों को (सु, उ, उप, शृणवः) उत्तम प्रकार तर्क-वितर्क से समीप में सुनिये ॥२॥
Connotation: - हे विद्वन् ! आप सृष्टि के क्रम को जान कर हमको जतलाओ, इसमें पढ़ाना पढ़ना काम और पढ़े हुए की परीक्षा करो और विद्यादान से शीघ्र प्रमोद देओ ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे ब्रह्मन् वीर ! ब्रह्मकृतिं जुषाणोऽर्वाचीनस्त्वं हरिभिस्सह तूयं याहि अस्मिन् सवनेऽस्मान् नु मादयस्व न इमा ब्रह्माणि सूप शृणवः ॥२॥

Word-Meaning: - (ब्रह्मन्) चतुर्वेदवित् (वीर) सकलशुभगुणव्यापिन् (ब्रह्मकृतिम्) ब्रह्मणः परमेश्वरस्य कृतिं संसारम् (जुषाणः) सेवमानः (अर्वाचीनः) इदानीन्तनः (हरिभिः) सद्गुणकर्षकैर्मनुष्यैस्सह (याहि) (तूयम्) शीघ्रम्। तूयमिति क्षिप्रनाम। (निघं०२.१५)। (अस्मिन्) (उ) (सु) (सवने) सुन्वन्ति निष्पादयन्ति येन कर्मणा तस्मिन् (मादयस्व) आनन्दयस्व (उप) (ब्रह्माणि) अधीतानि वेदवचांसि (शृणवः) शृणु (इमा) इमानि (नः) अस्माकम् ॥२॥
Connotation: - हे विद्वन् ! त्वं सृष्टिक्रमं विज्ञायास्मान् प्रबोधयास्मिन्नध्यापनाऽध्ययने कर्मण्यस्माकमधीतं परीक्ष्य विद्याप्रदानेन सर्वान् सद्यः प्रमोदय ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वाना ! तू सृष्टीचा क्रम जाणून आम्हाला प्रबोधन कर. आमच्या अध्ययन, अध्यापनाची परीक्षा कर व विद्यादानाचा आनंद लवकर दे. ॥ २ ॥