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ब्रह्मा॑ ण इ॒न्द्रोप॑ याहि वि॒द्वान॒र्वाञ्च॑स्ते॒ हर॑यः सन्तु यु॒क्ताः। विश्वे॑ चि॒द्धि त्वा॑ वि॒हव॑न्त॒ मर्ता॑ अ॒स्माक॒मिच्छृ॑णुहि विश्वमिन्व ॥१॥

English Transliteration

brahmā ṇa indropa yāhi vidvān arvāñcas te harayaḥ santu yuktāḥ | viśve cid dhi tvā vihavanta martā asmākam ic chṛṇuhi viśvaminva ||

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Pad Path

ब्रह्मा॑। नः॒। इ॒न्द्र॒। उप॑। या॒हि॒। वि॒द्वान्। अ॒र्वाञ्चः॑। ते॒। हर॑यः। स॒न्तु॒। यु॒क्ताः। विश्वे॑। चि॒त्। हि। त्वा॒। वि॒ऽहव॑न्त। मर्ताः॑। अ॒स्माक॑म्। इत्। शृ॒णु॒हि॒। वि॒श्व॒म्ऽइ॒न्व॒ ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:28» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:12» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पाँच ऋचावाले अट्ठाईसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में वह राजा क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (विश्वमिन्व) सब को फेंकने वा (इन्द्र) परमैश्वर्य्य और विद्या की प्राप्ति करानेवाले (विद्वान्) विद्यावान् ! आप (नः) हम लोगों को (ब्रह्म) धन वा अन्न (उप, याहि) प्राप्त कराओ जिन (ते) आपके (अर्वाञ्चः) नीचे को जानेवाले (हरयः) मनुष्य (युक्ताः) किये योग (सन्तु) हों (चित्) और जो (हि) ही (विश्वे) सब (मर्त्ताः) मनुष्य (त्वा) आपको (वि, हवन्त) विशेषता से बुलाते हैं, उनके साथ (अस्माकम्) हमारे वाक्य को (इत्) ही (शृणुहि) सुनिये ॥१॥
Connotation: - जो मनुष्य सत्य न्यायवृत्ति से राज्य भक्त हों, वे राज्य में सत्कार किये हुए निरन्तर बसें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ स राजा किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे विश्वमिन्वेन्द्र विद्वांस्त्वं नो ब्रह्मोप याहि यस्य तेऽर्वाञ्चो हरयो युक्ताः सन्तु ये चिद्धि विश्वे मर्त्तास्त्वा वि हवन्त तैस्सहाऽस्माकं वाक्यमिच्छृणुहि ॥१॥

Word-Meaning: - (ब्रह्म) धनमन्नं वा। अत्र च संहितायामिति दीर्घः। (नः) अस्मान् (इन्द्र) परमैश्वर्यविद्याप्रापक (उप) (याहि) (विद्वान्) (अर्वाञ्चः) येऽर्वागधोऽञ्चन्ति (ते) तव (हरयः) मनुष्याः। अत्र वाच्छन्दसीति रोः स्थान उकारादेशः। (सन्तु) (युक्ताः) कृतयोगाः (विश्वे) सर्वे (चित्) (हि) (त्वा) त्वाम् (विहवन्त) विशेषेणाऽऽहूयन्ति (मर्ताः) मनुष्याः (अस्माकम्) (इत्) एव (शृणुहि) शृणु (विश्वमिन्व) यो विश्वं मिनोति तत्सम्बुद्धौ ॥१॥
Connotation: - ये मनुष्याः सत्यं न्यायवृत्त्या राज्यभक्ताः स्युस्ते राज्ये सत्कृताः सन्तो निवसन्तु ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात इंद्र, विद्वान, राजगुण व कर्मांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वसूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जी माणसे सत्य, न्यायी, राजभक्त असतील त्यांचा राज्यात निरंतर सत्कार व्हावा. त्यांचा राज्यात सतत निवास असावा. ॥ १ ॥