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गृ॒भी॒तं ते॒ मन॑ इन्द्र द्वि॒बर्हाः॑ सु॒तः सोमः॒ परि॑षिक्ता॒ मधू॑नि। विसृ॑ष्टधेना भरते सुवृ॒क्तिरि॒यमिन्द्रं॒ जोहु॑वती मनी॒षा ॥२॥

English Transliteration

gṛbhītaṁ te mana indra dvibarhāḥ sutaḥ somaḥ pariṣiktā madhūni | visṛṣṭadhenā bharate suvṛktir iyam indraṁ johuvatī manīṣā ||

Pad Path

गृ॒भी॒तम्। ते॒। मनः॑। इ॒न्द्र॒। द्वि॒ऽबर्हाः॑। सु॒तः। सोमः॑। परि॑ऽसिक्ता। मधू॑नि। विसृ॑ष्टऽधेना। भ॒र॒ते॒। सु॒ऽवृ॒क्तिः। इ॒यम्। इन्द्र॑म्। जोहु॑वती। म॒नी॒षा ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:24» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे स्त्री-पुरुष क्या करके विवाह करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) परमैश्वर्य के देनेवाले जो (विसृष्टधेना) नाना प्रकार की विद्यायुक्त वाणी और (सुवृक्तिः) सुन्दर चाल ढाल जिसकी ऐसी (इयम्) यह (मनीषा) प्रिया स्त्री (इन्द्रम्) परमैश्वर्य देनेवाले पुरुष को (जोहुवती) निरन्तर बुलाती है उसको (भरते) धारण करती है जिसने (ते) तेरा (मनः) मन (गृभीतम्) ग्रहण किया तथा जो (द्विबर्हाः) दो से अर्थात् विद्या और पुरुषार्थ से बढ़ता वह (सुतः) उत्पन्न किया हुआ (सोमः) ओषधियों का रस है और जहाँ (परिषिक्ता) सब ओर से सींचे हुए (मधूनि) दाख वा सहत आदि पदार्थ हैं, उन्हें सेवो ॥२॥
Connotation: - जो स्त्री सुविचार से अपने प्रिय पति को प्राप्त होके गर्भ को धारण करती है, वह पति के चित्त को खींचने और वश में करनेवाली होकर वीर सुत को उत्पन्न कर सर्वदा आनन्दित होती है ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स्त्रीपुरुषौ किं कृत्वा विवाहं कुर्यातामित्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! या विसृष्टधेना सुवृक्तिरियं मनीषेन्द्रं जोहुवती भरते यया ते मनो गृभीतं यो द्विबर्हाः सुतः सोमोऽस्ति यत्र परिषिक्तानि मधूनि सन्ति तं सेवस्व ॥२॥

Word-Meaning: - (गृभीतम्) गृहीतम् (ते) तव (मनः) अन्तःकरणम् (इन्द्र) परमैश्वर्यप्रद (द्विबर्हाः) द्वाभ्यां विद्यापुरुषार्थाभ्यां यो वर्धते सः (सुतः) निष्पादितः (सोमः) ओषधिरसः (परिषिक्ता) सर्वतः सिक्तानि (मधूनि) क्षौद्रादीनि (विसृष्टधेना) विविधविद्यायुक्ता धेना वाग्यस्याः सा (भरते) धरति (सुवृक्तिः) शोभना वृक्तिः वर्त्तनं यस्याः सा (इयम्) (इन्द्रम्) परमैश्वर्यप्रदं पुरुषम् (जोहुवती) या भृशमाह्वयति (मनीषा) प्रिया ॥२॥
Connotation: - या स्त्री सुविचारेण स्वप्रियं पतिं प्राप्य गर्भं बिभर्ति सा पत्युश्चित्ताकर्षिका वशकारिणी भूत्वा वीरसुतं जनयित्वा सर्वदाऽऽनन्दति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी स्त्री विचारपूर्वक प्रिय पती प्राप्त करते व गर्भ धारण करते ती पतीचे चित्त आकर्षित करून वीर पुत्राला जन्म देऊन सदैव आनंदित असते. ॥ २ ॥