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भूरि॒ हि ते॒ सव॑ना॒ मानु॑षेषु॒ भूरि॑ मनी॒षी ह॑वते॒ त्वामित्। मारे अ॒स्मन्म॑घव॒ञ्ज्योक्कः॑ ॥६॥

English Transliteration

bhūri hi te savanā mānuṣeṣu bhūri manīṣī havate tvām it | māre asman maghavañ jyok kaḥ ||

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Pad Path

भूरि॑। हि। ते॒। सव॑ना। मानु॑षेषु। भूरि॑। म॒नी॒षी। ह॒व॒ते॒। त्वाम्। इत्। मा। आ॒रे। अ॒स्मत्। म॒घ॒ऽव॒न्। ज्योक्। क॒रिति॑ कः ॥६॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:22» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या इच्छा करनी चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मघवन्) बहुत विद्यारूपी ऐश्वर्य्ययुक्त ! जो (मानुषेषु) मनुष्यों में (भूरि) बहुत (मनीषी) बुद्धिवाला जन (ते) आपके (सवना) यज्ञसिद्धि करानेवाले कर्मों वा प्रेरणाओं को (भूरि) बहुत (हवते) ग्रहण करता तथा जो (त्वाम्) आप की (इत्) ही स्तुति प्रशंसा करता (हि) उसी को (अस्मत्) हम लोगों से (आरे) दूर (ज्योक्) निरन्तर (मा, कः) मत करो, किन्तु सदा हमारे समीप रक्खो ॥६॥
Connotation: - जो निश्चय से मनुष्यों के बीच उत्तम विद्वान् आप्त परीक्षा करनेवाला हो, उसको तथा अन्य अध्यापकों की निरन्तर प्रार्थना करो। आप लोगों को हमारे निकट जो धार्मिक, विद्वान् हो, यही निरन्तर रखने योग्य है, जो मिथ्या प्यारी वाणी बोलनेवाला न हो ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किमेष्टव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मघवन् बहुविद्यैश्वर्ययुक्त ! यो मानुषेषु भूरि मनीषी ते सवना भूरि हवते ये हि त्वामित् स्तौति तं ह्यस्मदारे ज्योग्मा कः किन्तु सदाऽस्मत्समीपे रक्षेः ॥६॥

Word-Meaning: - (भूरि) बहूनि (हि) खलु (ते) तव (सवना) सवनानि यज्ञसाधककर्माण्यैश्वर्याणि कर्माणि प्रेरणानि वा (मानुषेषु) मनुष्येषु (भूरि) बहु (मनीषी) मेधावी (हवते) गृह्णाति स्तौति वा (त्वाम्) (इत्) एव (मा) (आरे) दूरे समीपे वा (अस्मत्) (मघवन्) बह्वैश्वर्ययुक्त (ज्योक्) निरन्तरम् (कः) कुर्याः ॥६॥
Connotation: - यो हि मनुष्याणां मध्य उत्तमो विद्वानाप्तः परीक्षको भवेत्तमन्यानध्यापकांश्च सततं प्रार्थयेयुर्भवद्भिरस्माकं निकटे यो धार्मिको विद्वान् भवेत् स एव निरन्तरं रक्षणीयो यश्च मिथ्याप्रियवादी न स्यात् ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो माणसांमध्ये उत्तम विद्वान परीक्षक असेल त्याची व इतर अध्यापकांची निरंतर प्रार्थना, प्रशंसा करा. जो धार्मिक विद्वान असेल तोच रक्षण करण्यायोग्य आहे. फक्त तो असत्य बोलणारा नसावा. ॥ ६ ॥