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भी॒मो वि॑वे॒षायु॑धेभिरेषा॒मपां॑सि॒ विश्वा॒ नर्या॑णि वि॒द्वान्। इन्द्रः॒ पुरो॒ जर्हृ॑षाणो॒ वि दू॑धो॒द्वि वज्र॑हस्तो महि॒ना ज॑घान ॥४॥

English Transliteration

bhīmo viveṣāyudhebhir eṣām apāṁsi viśvā naryāṇi vidvān | indraḥ puro jarhṛṣāṇo vi dūdhod vi vajrahasto mahinā jaghāna ||

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Pad Path

भी॒मः। वि॒वे॒ष॒। आयु॑धेभिः। ए॒षा॒म्। अपां॑सि। विश्वा॑। नर्या॑णि। वि॒द्वान्। इन्द्रः॑। पुरः॑। जर्हृ॑षाणः। वि। दू॒धो॒त्। वि। वज्र॑ऽहस्तः। म॒हि॒ना। ज॒घा॒न॒ ॥४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:21» Mantra:4 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:3» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह सेनापति क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (भीमः) भय करने वा (वज्रहस्तः) शस्त्र और अस्त्र हाथों में रखनेवाला (जर्हृषाणः) निरन्तर आनन्दित (विद्वान्) विद्वान् (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् राजा (आयुधेभिः) युद्ध सिद्धि करानेवाले शस्त्रों से (महिना) बड़प्पन के साथ (एषाम्) इन शत्रुओं के (विश्वा) समस्त (नर्याणि) मनुष्यों के हित करनेवाले (अपांसि) कर्मों को (विवेष) व्याप्त हो (पुरः) शत्रुओं की नगरियों को (वि, दूधोत्) कंपावे शत्रुओं को (वि, जघान) मारे, वही सेनापति होने योग्य होता है ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो युद्ध कार्यों को समग्र जान अपनी सेना को युद्ध में निपुण कर शत्रुओं को कंपा और शत्रुसेनाओं को कंपाते हैं, वे विजय से शोभित होते हैं ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्स सेनेशः किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

यो भीमो वज्रहस्तो जर्हृषाणो विद्वाननिन्द्र आयुधेभिर्महिनैषां शत्रूणां विश्वा नर्याण्यपांसि विवेष पुरो विदूधोच्छत्रून्विजघान स एव सेनापतित्वमर्हति ॥४॥

Word-Meaning: - (भीमः) भयङ्करः (विवेष) व्याप्नुयात् (आयुधेभिः) युद्धसाधनैः (एषाम्) (अपांसि) कर्माणि (विश्वा) सर्वाणि (नर्याणि) नृभ्यो हितानि (विद्वान्) (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् (पुरः) शत्रुपुराणि (जर्हृषाणः) भृशं हृषितः (वि) (दूधोत्) अकम्पयत् (वि) (वज्रहस्तः) शस्त्रास्त्रपाणिः (महिना) महिम्ना (जघान) हन्यात् ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! ये युद्धकृत्यानि समग्राणि विज्ञाय स्वसैन्यानि युद्धकुशलानि कृत्वा शत्रूनभिकम्प्य शत्रुसेनाः कम्पयन्ति ते विजयेन भूषिता भवन्ति ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जे युद्धकार्य जाणून युद्धात आपल्या सेनेला निपुण करतात व शत्रूला भयभीत करतात तसेच शत्रूच्या सेनेलाही भयभीत करतात ते विजयी होतात. ॥ ४ ॥