उ॒त योष॑णे दि॒व्ये म॒ही न॑ उ॒षासा॒नक्ता॑ सू॒दुघे॑व धे॒नुः। ब॒र्हि॒षदा॑ पुरुहू॒ते म॒घोनी॒ आ य॒ज्ञिये॑ सुवि॒ताय॑ श्रयेताम् ॥६॥
uta yoṣaṇe divye mahī na uṣāsānaktā sudugheva dhenuḥ | barhiṣadā puruhūte maghonī ā yajñiye suvitāya śrayetām ||
उ॒त। योष॑णे॒ इति॑। दि॒व्ये इति॑। म॒ही इति॑। नः॒। उ॒षासा॒नक्ता॑। सु॒दुघा॑ऽइव। धे॒नुः। ब॒र्हि॒ऽसदा॑। पु॒रु॒हू॒ते इति॑ पु॒रु॒ऽहू॒ते। म॒घोनी॒ इति॑। आ। य॒ज्ञिये॑। सु॒वि॒ताय॑। श्र॒ये॒ता॒म् ॥६॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर विदुषी स्त्रियाँ कैसी हों, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनर्विदुष्यः स्त्रियः कीदृश्यो भवेयुरित्याह ॥
हे विद्वांसो ! ये नो यज्ञिये मघोनी योषणे इव दिव्ये मही धेनुः सुदुघेवोत बर्हिषदा पुरुहूते उषासानक्ता न आश्रयेतां ते सुविताय यथावत्सेवनीये ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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