त्वं नृभि॑र्नृमणो दे॒ववी॑तौ॒ भूरी॑णि वृ॒त्रा ह॑र्यश्व हंसि। त्वं नि दस्युं॒ चुमु॑रिं॒ धुनिं॒ चास्वा॑पयो द॒भीत॑ये सु॒हन्तु॑ ॥४॥
tvaṁ nṛbhir nṛmaṇo devavītau bhūrīṇi vṛtrā haryaśva haṁsi | tvaṁ ni dasyuṁ cumuriṁ dhuniṁ cāsvāpayo dabhītaye suhantu ||
त्वम्। नृऽभिः॑। नृ॒ऽम॒नः॒। दे॒वऽवी॑तौ। भूरी॑णि। वृ॒त्रा। ह॒रि॒ऽअ॒श्व॒। हं॒सि॒। त्वम्। नि। दस्यु॑म्। चुमु॑रिम्। धुनि॑म्। च॒। अस्वा॑पयः। द॒भीत॑ये। सु॒ऽहन्तु॑ ॥४॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वह राजा क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स राजा किं कुर्यादित्याह ॥
हे हर्यश्व नृमणो राजँस्त्वं नृभिः सह देववीतौ भूरीणि वृत्रा हंसि त्वं धुनिं चुमुरिं दस्युं न्यस्वापयो दभीतये च दुष्टान् भवान् सुहन्तु ॥४॥
MATA SAVITA JOSHI
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