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दु॒रा॒ध्यो॒३॒॑ अदि॑तिं स्रे॒वय॑न्तोऽचे॒तसो॒ वि ज॑गृभ्रे॒ परु॑ष्णीम्। म॒ह्नावि॑व्यक्पृथि॒वीं पत्य॑मानः प॒शुष्क॒विर॑शय॒च्चाय॑मानः ॥८॥

English Transliteration

durādhyo aditiṁ srevayanto cetaso vi jagṛbhre paruṣṇīm | mahnāvivyak pṛthivīm patyamānaḥ paśuṣ kavir aśayac cāyamānaḥ ||

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Pad Path

दुः॒ऽआ॒ध्यः॑। अदि॑तिम्। स्रे॒वय॑न्तः। अ॒चे॒तसः॑। वि। ज॒गृ॒भ्रे॒। परु॑ष्णीम्। म॒ह्ना। अ॒वि॒व्य॒क्। पृ॒थि॒वीम्। पत्य॑मानः। प॒शुः। क॒विः। अ॒श॒य॒त्। चाय॑मानः ॥८॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:18» Mantra:8 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:25» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

कौन इस लोग में भाग्यहीन होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जैसे (मह्ना) बड़प्पन से (पत्यमानः) पति के समान आचरण करता (चायमानः) वृद्धि को प्राप्त होता हुआ (कविः) प्रत्येक काम में आक्रमण करनेवाली बुद्धि जिसकी वह (पशुः) गो आदि पशु (अशयत्) सोता है (परुष्णीम्) पालनेवाली (पृथिवीम्) भूमि को (अविव्यक्) विविध प्रकार से आक्रमण करता है, वैसे जो (अचेतसः) निर्बुद्धि (दुराध्यः) दुष्टबुद्धिपुरुष (अदितिम्) उत्पत्ति काम को (स्रेवयन्तः) सेवते हुए (वि, जगृभ्रे) विशेषता से लेते हैं, वे वर्त्तमान हैं, ऐसा जानो ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! वे ही इस संसार में पशु के तुल्य पामरजन हैं, जो स्त्री में आसक्त हैं ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

केऽत्र भाग्यहीना सन्तीत्याह ॥

Anvay:

यथा मह्ना पत्यमानश्चायमानः कविः पशुरशयत् परुष्णीं पृथिवीमविव्यक् तथा येऽचेतसो दुराध्योऽदितिं स्रेवयन्ती विजगृभ्रे ते वर्त्तन्त इति वेद्यम् ॥८॥

Word-Meaning: - (दुराध्यः) दुष्टाचारा दुष्टधियः (अदितिम्) जनित्वं कामम् (स्रेवयन्तः) (अचेतसः) निर्बुद्धयः (वि) (जगृभ्रे) गृह्णन्ति (परुष्णीम्) पालिकाम् (मह्ना) महत्वेन (अविव्यक्) व्याजीकरोति (पृथिवीम्) भूमिम् (पत्यमानः) पतिरिवाचरन् (पशुः) गवादिः (कविः) क्रान्तप्रज्ञः (अशयत्) शेते (चायमानः) वर्धमानः ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! त एवाऽत्र पशुवत्पामराः सन्ति ये स्त्र्यासक्ता भवन्ति ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जे स्त्रीमध्ये आसक्त असतात तेच या जगात पशूप्रमाणे पामर असतात. ॥ ८ ॥