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वि स॒द्यो विश्वा॑ दृंहि॒तान्ये॑षा॒मिन्द्रः॒ पुरः॒ सह॑सा स॒प्त द॑र्दः। व्यान॑वस्य॒ तृत्स॑वे॒ गयं॑ भा॒ग्जेष्म॑ पू॒रुं वि॒दथे॑ मृ॒ध्रवा॑चम् ॥१३॥

English Transliteration

vi sadyo viśvā dṛṁhitāny eṣām indraḥ puraḥ sahasā sapta dardaḥ | vy ānavasya tṛtsave gayam bhāg jeṣma pūruṁ vidathe mṛdhravācam ||

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Pad Path

वि। स॒द्यः। विश्वा॑। दृं॒हि॒तानि॑। ए॒षा॒म्। इन्द्रः॑। पुरः॑। सह॑सा। स॒प्त। द॒र्दः॒। वि। आन॑वस्य। तृत्स॑वे। गय॑म्। भा॒क्। जेष्म॑। पू॒रुम्। वि॒दथे॑। मृ॒ध्रऽवा॑चम् ॥१३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:18» Mantra:13 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:26» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे राजा आदि कैसा बल करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जैसे (इन्द्रः) परमैश्वर्य्यवान् राजा (सहसा) बल से (एषाम्) इन शत्रुओं के (सप्त) सातों (पुरः) पुरों को (वि, दर्दः) विशेषता से छिन्न-भिन्न करता वा (आनवस्य) सब ओर से नवीन के (गयम्) प्रजा वा घर को (वि, भाक्) विशेषता से सेवता है तथा (पूरुम्) पूरण बुद्धिवाले मनुष्य को और (विदथे) संग्राम में (मृध्रवाचम्) हिंसा करनेवाली जिसकी वाणी और (तृत्सवे) दूसरे हिंसक के लिये सम्मुख विद्यमान है उसको हम लोग (जेष्म) जीतें जिससे हमारी (सद्यः, विश्वा, दृंहितानि) समस्त सेना के जन शीघ्र वृद्धि उन्नति को प्राप्त हों ॥१३॥
Connotation: - जो धार्मिक अपने प्रधानों से सहित वा राज्यकार्य्यों में शूरवीर पुरुष अपने से सतगुने अधिक भी दुष्ट शत्रुओं को जीत सकते हैं, वे प्रजा पालने को योग्य होते हैं ॥१३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते राजादयः कीदृशं बलं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

यथेन्द्रो राजा सहसैषां सप्त पुरो वि दर्द आनवस्य गयं वि भाक् पूरुं विदथे मृध्रवाचं च तृत्सवे वर्तमानं वयं जेष्म यतोऽस्माकं सद्यो विश्वा दृंहितानि स्युः ॥१३॥

Word-Meaning: - (वि) विशेषेण (सद्यः) शीघ्रम् (विश्वा) सर्वाणि (दृंहितानि) वृद्धानि सैन्यानि (एषाम्) शत्रूणाम् (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् (पुरः) शत्रूणां पुराणि (सहसा) बलेन (सप्त) एतत्संख्याकान् (दर्दः) विदृणाति (वि) (आनवस्य) समन्तान्नवीनस्य (तृत्सवे) हिंसकाय (गयम्) प्रजाम् गृहं वा (भाक्) भजति (जेष्म) जयेम (पूरुम्) पूरणप्रज्ञं [=पूर्णप्रज्ञं] मनुष्यम् (विदथे) सङ्ग्रामे (मृध्रवाचम्) मृध्रा हिंसिका वाक् यस्य तम् ॥१३॥
Connotation: - ये धार्मिकास्सप्रधाना वा राजकार्यशूरवीराः स्वेभ्यः सप्तगुणानधिकानपि दुष्टान् शत्रूञ्जेतुं शक्नुवन्ति ते प्रजाः पालयितुमर्हन्ति ॥१३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे धार्मिक आपल्या प्रधानासह किंवा राज्यकार्यात शूरवीर असलेल्या पुरुषांसह आपल्यापेक्षा सप्तगुणी दुष्ट शत्रूंना जिंकू शकतात ते प्रजापालन करण्यायोग्य असतात. ॥ १३ ॥