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सेमां वे॑तु॒ वष॑ट्कृतिम॒ग्निर्जु॑षत नो॒ गिरः॑। यजि॑ष्ठो हव्य॒वाह॑नः ॥६॥

English Transliteration

semāṁ vetu vaṣaṭkṛtim agnir juṣata no giraḥ | yajiṣṭho havyavāhanaḥ ||

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Pad Path

सः। इ॒माम्। वे॒तु॒। वष॑ट्ऽकृतिम्। अ॒ग्निः। जु॒ष॒त॒। नः॒। गिरः॑। यजि॑ष्ठः। ह॒व्य॒ऽवाह॑नः ॥६॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:15» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:19» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह अग्नि कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (सः) वह (यजिष्ठः) अत्यन्त यज्ञकर्त्ता (हव्यवाहनः) देने योग्य पदार्थों को प्राप्त होनेवाला (अग्निः) पावक अग्नि (नः) हमारी (इमाम्) इस (वषट्कृतिम्) शुद्ध क्रिया को और (गिरः) वाणियों को (वेतु) प्राप्त हो उसको तुम लोग (जुषत) सेवन करो ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो अग्नि सम्यक् प्रयुक्त किया हुआ हमारी क्रियाओं का सेवन करता वह तुम लोगों को सेवने योग्य है ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सोऽग्निः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! स यजिष्ठो हव्यवाहनोऽग्निर्न इमां वषट्कृतिं गिरश्च वेतु तं यूयं जुषत ॥६॥

Word-Meaning: - (सः) (इमाम्) (वेतु) प्राप्नोतु (वषट्कृतिम्) सत्क्रियाम् (अग्निः) पावकः (जुषत) सेवध्वम् (नः) अस्माकम् (गिरः) वाचः (यजिष्ठः) अतिशयेन यष्टा (हव्यवाहनः) यो हव्यानि दातुमर्हाणि वहति प्राप्नोति सः ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्या ! योऽग्निः सम्प्रयोजितः सन्नस्माकं क्रियाः सेवते स युष्माभिस्सेवनीयः ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो सम्यक प्रयुक्त केलेला अग्नी आमच्या क्रिया ग्रहण करतो तो तुम्हीही ग्रहण करण्यायोग्य असतो. ॥ ६ ॥