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अग॑न्म म॒हा नम॑सा॒ यवि॑ष्ठं॒ यो दी॒दाय॒ समि॑द्धः॒ स्वे दु॑रो॒णे। चि॒त्रभा॑नुं॒ रोद॑सी अ॒न्तरु॒र्वी स्वा॑हुतं वि॒श्वतः॑ प्र॒त्यञ्च॑म् ॥१॥

English Transliteration

aganma mahā namasā yaviṣṭhaṁ yo dīdāya samiddhaḥ sve duroṇe | citrabhānuṁ rodasī antar urvī svāhutaṁ viśvataḥ pratyañcam ||

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Pad Path

अग॑न्म। म॒हा। नम॑सा। यवि॑ष्ठम्। यः। दी॒दाय॑। सम्ऽइ॑द्धः। स्वे। दु॒रो॒णे। चि॒त्रऽभा॑नुम्। रोद॑सी॒ इति॑। अ॒न्तः। उ॒र्वी इति॑। सुऽआ॑हुतम्। वि॒श्वतः॑। प्र॒त्यञ्च॑म् ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:12» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:15» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब बारहवें सूक्त का आरम्भ है। इसके प्रथम मन्त्र में अग्नि कैसा है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (स्वे) अपने (दुरोणे) घर में (समिद्धः) प्रकाशित है वह (दीदाय) सबको प्रकाशित करता है उसको (उर्वी) बड़ी (रोदसी) सूर्य-पृथिवी के (अन्तः) भीतर वर्त्तमान (चित्रभानुम्) अद्भुत किरणोंवाले (स्वाहुतम्) सुन्दर प्रकार ग्रहण किये (विश्वतः) सब ओर से (प्रत्यञ्चम्) पीछे चलने और (यविष्ठम्) अतिशय विभाग करनेवाले (महा) बड़े अग्नि को (नमसा) सत्कार वा अन्नादि से जैसे हम लोग (अगन्म) प्राप्त हों, वैसे इसको तुम लोग भी प्राप्त होओ ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। विद्वानों को उचित है कि सब को ऐसा उपदेश करें कि जैसे हम लोग सब के अन्तःस्थित विद्युत् अग्नि को जानें, वैसे तुम लोग भी जानो ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ पुनरग्निः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यस्स्वे दुरोणे समिद्धः स दीदाय तमुर्वी रोदसी अन्तर्वर्त्तमानं चित्रभानुं स्वाहुतं विश्वतः प्रत्यञ्चं यविष्ठं महाऽग्निं नमसा यथा वयमगन्म तथैतं यूयमपि प्राप्नुत ॥१॥

Word-Meaning: - (अगन्म) प्राप्नुयाम (महा) महान्तम् (नमसा) सत्कारेणान्नादिना वा (यविष्ठम्) अतिशयेन विभाजकम् (यः) (दीदाय) दीपयति (समिद्धः) प्रदीप्तः (स्वे) स्वकीये (दुरोणे) गृहे (चित्रभानुम्) अद्भुतकिरणम् (रोदसी) द्यावापृथिव्योः (अन्तः) मध्ये (उर्वी) महत्योः (स्वाहुतम्) सुष्ठ्वाहुतम् (विश्वतः) सर्वतः (प्रत्यञ्चम्) यः प्रत्यञ्चति तम् ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। विद्वद्भिः सर्व एवमुपदेष्टव्यो यथा वयं सर्वान्तःस्थां विद्युतं विजानीयाम तथा यूयमपि विजानीत ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अग्नी, ईश्वर व विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. विद्वानांनी सर्वांना असा उपदेश करावा की, जसे आम्ही सर्वांच्या अंतःकरणात स्थित विद्युत अग्नीला जाणतो तसे तुम्हीही जाणा. ॥ १ ॥