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प्र या जिगा॑ति ख॒र्गले॑व॒ नक्त॒मप॑ द्रु॒हा त॒न्वं१॒॑ गूह॑माना । व॒व्राँ अ॑न॒न्ताँ अव॒ सा प॑दीष्ट॒ ग्रावा॑णो घ्नन्तु र॒क्षस॑ उप॒ब्दैः ॥

English Transliteration

pra yā jigāti khargaleva naktam apa druhā tanvaṁ gūhamānā | vavrām̐ anantām̐ ava sā padīṣṭa grāvāṇo ghnantu rakṣasa upabdaiḥ ||

Pad Path

प्र । या । जिगा॑ति । ख॒र्गला॑ऽइव । नक्त॑म् । अप॑ । द्रु॒हा । त॒न्व॑म् । गूह॑माना । व॒व्रान् । अ॒न॒न्तान् । अव॑ । सा । प॒दी॒ष्ट॒ । ग्रावा॑णः । घ्न॒न्तु॒ । र॒क्षसः॑ । उ॒प॒ब्दैः ॥ ७.१०४.१७

Rigveda » Mandal:7» Sukta:104» Mantra:17 | Ashtak:5» Adhyay:7» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:6» Mantra:17


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (या) जो कोई राक्षसी वृत्तिवाली स्त्री (जिगाति) रात-दिन भ्रमण करती है, (खर्गलेव) निशाचर जीवों के समान (तन्वं) अपने शरीर को (गूहमाना) छिपाए रहती है, वह (वव्रान्, अनन्तान्) अनन्त अधोगतियों को (अव, सा, पदीष्ट) प्राप्त हो और (ग्रावाणः) वज्र उसको (उपब्दैः) शब्दायमान होकर (घ्नन्तु) नाश करें, क्योंकि (रक्षसः) वह भी राक्षसों से सम्बन्ध रखती है ॥१७॥
Connotation: - इस मन्त्र में राजधानी की रक्षा के लिए इस बात का उपदेश किया गया है जो स्त्री गुप्तचरी होकर रात को विचरती है और अपना भेद किसी को नहीं देती अथवा स्त्रियों के आचरण बिगाड़ने के लिए ऐसा रूप धारण करती है, उसको भी राक्षसों की श्रेणी में गिनना चाहिए, उसको राजा यथायोग्य दण्ड दे ॥१७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (या) या रक्षोवृत्तिं दधाना स्त्री (जिगाति) नक्तं दिवं पर्यटति (खर्गलेव) उलूकीव (तन्वम्) स्वदेहं (गूहमाना) पिदधती या सा (वव्रान्, अनन्तान्) अनेका अधोगतीः (अव, सा, पदीष्ट) अवाङ्मुखी सती गच्छतु तां (ग्रावाणः) वज्रं (उपब्दैः) शब्दायमानं सत् (घ्नन्तु) हन्तु, यतः सा (रक्षसः) रक्षसः सम्बन्धिन्यस्ति ॥१७॥