वि ये ते॑ अग्ने भेजि॒रे अनी॑कं॒ मर्ता॒ नरः॒ पित्र्या॑सः पुरु॒त्रा। उ॒तो न॑ ए॒भिः सु॒मना॑ इ॒ह स्याः॑ ॥९॥
vi ye te agne bhejire anīkam martā naraḥ pitryāsaḥ purutrā | uto na ebhiḥ sumanā iha syāḥ ||
वि। ये। ते॒। अ॒ग्ने॒। भे॒जि॒रे। अनी॑कम्। मर्ताः॑। नरः॑। पित्र्या॑सः। पु॒रु॒ऽत्रा। उ॒तो इति॑। नः॒। ए॒भिः। सु॒ऽमनाः॑। इ॒ह। स्याः॒ ॥९॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर कैसे भृत्यों के साथ राजा प्रजा का पालन करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः कीदृशैः सह राजा प्रजाः पालयेदित्याह ॥
हे अग्ने ! ये पित्र्यासो मर्ता नरस्ते [पुरुत्रा] अनीकं वि भेजिरे उतो एभिस्सह त्वमिह नः सुमनाः स्याः ॥९॥
MATA SAVITA JOSHI
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