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त्वम॑ग्ने सु॒हवो॑ र॒ण्वसं॑दृक्सुदी॒ती सू॑नो सहसो दिदीहि। मा त्वे सचा॒ तन॑ये॒ नित्य॒ आ ध॒ङ्मा वी॒रो अ॒स्मन्नर्यो॒ वि दा॑सीत् ॥२१॥

English Transliteration

tvam agne suhavo raṇvasaṁdṛk sudītī sūno sahaso didīhi | mā tve sacā tanaye nitya ā dhaṅ mā vīro asman naryo vi dāsīt ||

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Pad Path

त्वम्। अ॒ग्ने॒। सु॒ऽहवः॑। र॒ण्वऽस॑न्दृक्। सु॒ऽदी॒ती। सू॒नो॒ इति॑। स॒ह॒सः॒। दि॒दी॒हि॒। मा। त्वे इति॑। सचा॑। तन॑ये। नित्ये॑। आ। ध॒क्। मा। वी॒रः। अ॒स्मत्। नर्यः॑। वि। दा॒सी॒त् ॥२१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:1» Mantra:21 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:27» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:21


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् इस जगत् में कैसे वर्ते, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सहसः) बलवान् के (सूनो) पुत्र (अग्ने) अग्नि के तुल्य विद्या से प्रकाशमान विद्वन् ! (सुहवः) सुन्दर स्तुतियुक्त (रण्वसंदृक्) रमणीय सम्यक् देखनेवाला जैसे (नर्यः) मनुष्यों में उत्तम (वीरः) वीर (अस्मत्) हम से (मा) मत (वि, दासीत्) दान से रहित हो वा (नित्ये) सब काल में करने योग्य कर्म में (त्वे) आप (तनये) सन्तान में (सचा) सम्बन्ध से (मा, आ, धक्) अच्छे प्रकार मत जलाइये, वैसे (त्वम्) आप (सुदीती) उत्तम दीप्ति से हमको (दिदीहि) प्रकाशित कीजिये ॥२१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे विद्वानो ! जैसे हमारे बन्धु लोग हमारे विरोधी नहीं होते, जैसे माता में पुत्र, पुत्र के विषय में माता प्रेम के साथ वर्त्तती है, वैसे ही आप भी हमारे साथ वर्तिये ॥२१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वानत्र कथं वर्तेतेत्याह ॥

Anvay:

हे सहसः सूनोऽग्ने ! सुहवः रण्वसंदृग्यथा नर्यो वीरोऽस्मन्मा विदासीन्नित्ये त्वे तनये सचा मा धक् तथा त्वं सुदीती अस्मान् दिदीहि ॥२१॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (अग्ने) पावक इव विद्यया प्रकाशमान विद्वन् (सुहवः) सुस्तुतिः (रण्वसंदृक्) रमणीयं यः सम्यक् पश्यति सः (सुदीती) उत्तमया दीप्त्या (सूनो) तनय (सहसः) बलवतः (दिदीहि) प्रकाशय (मा) (त्वे) त्वयि (सचा) सम्बन्धेन (तनये) सन्ताने (नित्ये) सदा कर्त्तव्ये कर्मणि (आ) (धक्) दहेः (मा) (वीरः) (अस्मत्) अस्माकं सकाशात् (नर्यः) नृषु साधुः (वि) (दासीत्) विगतदानो भवेत् ॥२१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे विद्वान् ! यथाऽस्माकं बन्धवोऽस्मद्विरोधिनो न भवन्ति यथा मातरि तनयस्तनये माता प्रेम्णा सह वर्त्तते तथैव भवानस्माभिः सह वर्त्तताम् ॥२१॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे विद्वानांनो ! जसे आपले बंधू आपल्याविरुद्ध नसतात, माता व पुत्र एकमेकांशी प्रेमाने वागतात तसे तुम्हीही आमच्याबरोबर वागा. ॥ २१ ॥