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सेद॒ग्निर्यो व॑नुष्य॒तो नि॒पाति॑ समे॒द्धार॒मंह॑स उरु॒ष्यात्। सु॒जा॒तासः॒ परि॑ चरन्ति वी॒राः ॥१५॥

English Transliteration

sed agnir yo vanuṣyato nipāti sameddhāram aṁhasa uruṣyāt | sujātāsaḥ pari caranti vīrāḥ ||

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Pad Path

सः। इत्। अ॒ग्निः। यः। व॒नु॒ष्य॒तः। नि॒ऽपाति॑। स॒म्ऽए॒द्धार॑म्। अंह॑सः। उ॒रु॒ष्यात्। सु॒ऽजा॒तासः॑। परि॑। च॒र॒न्ति॒। वी॒राः ॥१५॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:1» Mantra:15 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:25» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह अग्नि कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्य ! (यः) जो (अग्निः) अग्नि (वनुष्यतः) याचना करते हुओं की (निपाति) निरन्तर रक्षा करता है तथा (समेद्धारम्) सम्यक् प्रकाशित करानेवाले को (अंहसः) दुःख वा दरिद्रता से (उरुष्यात्) रक्षा करे जिसको (सुजातासः) विद्याओं में अच्छे प्रकार प्रसिद्ध और (वीराः) विज्ञान को प्राप्त हुए वीरपुरुष (परि, चरन्ति) सब ओर से जानते वा प्राप्त होते हैं (सः, इत्) वही अग्नि तुम लोगों को अच्छे प्रकार उपयोग में लाना चाहिये ॥१५॥
Connotation: - जो मनुष्य अच्छी विद्या से अग्नि का सेवन कर कार्यसिद्ध के लिये संयुक्त करते हैं, वे दुःख और दरिद्रता से रहित, कीर्त्तिवाले हुए विजय के सुख को निरन्तर प्राप्त होते हैं ॥१५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सोऽग्निः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्य ! योऽग्निर्वनुष्यतो निपाति समेद्धारमंहसः उरुष्याद्यं सुजातासो वीराः परिचरन्ति स इदेव युष्माभिः सम्प्रयोक्तव्यः ॥१५॥

Word-Meaning: - (सः) (इत्) एव (अग्निः) पावकः (यः) (वनुष्यतः) याचमानान् (निपाति) नितरां रक्षति (समेद्धारम्) यः सम्यगिन्धयति प्रदीपयति तम् (अंहसः) दुःखदारिद्र्याख्यात् पापात् (उरुष्यात्) रक्षेत् (सुजातासः) सुष्ठु विद्यासु प्रसिद्धाः (परि) सर्वतः (चरन्ति) जानन्ति गच्छन्ति वा (वीराः) प्राप्तविज्ञानाः ॥१५॥
Connotation: - ये मनुष्याः सुविद्ययाऽग्निं संसेव्य कार्य्यसिद्धये सम्प्रयुञ्जते ते दुःखदारिद्र्यविरहा यशस्विनः सन्तो विजयसुखं सततं प्राप्नुवन्ति ॥१५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे उत्तम विद्येने अग्नीला जाणतात व कार्य सिद्ध व्हावे यासाठी तो संयुक्त करतात ते दुःख व दरिद्रतारहित बनतात, कीर्तिमान होतात व विजयाचे सुख प्राप्त करतात. ॥ १५ ॥