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यम॒श्वी नित्य॑मुप॒याति॑ य॒ज्ञं प्र॒जाव॑न्तं स्वप॒त्यं क्षयं॑ नः। स्वज॑न्मना॒ शेष॑सा वावृधा॒नम् ॥१२॥

English Transliteration

yam aśvī nityam upayāti yajñam prajāvantaṁ svapatyaṁ kṣayaṁ naḥ | svajanmanā śeṣasā vāvṛdhānam ||

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Pad Path

यम्। अ॒श्वी। नित्य॑म्। उ॒प॒ऽयाति॑। य॒ज्ञम्। प्र॒जाऽव॑न्तम्। सु॒ऽअ॒प॒त्यम्। क्षय॑म्। नः॒। स्वऽज॑न्मना। शेष॑सा। व॒वृ॒धा॒नम् ॥१२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:1» Mantra:12 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:25» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह अग्नि क्या सिद्ध करता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! जो (अश्वी) बहुत वेगादि गुणोंवाला अग्नि (नः) हमारे (यम्) जिस (प्रजावन्तम्) बहुत प्रजावाले (स्वपत्यम्) सुन्दर बालकों से युक्त (यज्ञम्) संग करने ठहरने योग्य (क्षयम्) घर को वा (स्वजन्मना) अपने जन्म से (शेषसा) शेष रहे भाग से (वावृधानम्) बढ़ते या बढ़ाते हुए के (नित्यम्) नित्य (उपयाति) निकट प्राप्त होता है, उसको तुम लोग जानो ॥१२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो अग्नि प्रकट हुए द्वितीय जन्म से प्रजा, सुन्दर सन्तानों और घर को प्राप्त कराता है, उसको प्रसिद्ध करो ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्सोऽग्निः किं साध्नोतीत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! योऽश्वी नो यं प्रजावन्तं स्वपत्यं यज्ञं क्षयं स्वजन्मना शेषसा वावृधानं नित्यमुपयाति तं यूयं विजानीत ॥१२॥

Word-Meaning: - (यम्) (अश्वी) बहवो महान्तोऽश्वा वेगादयो गुणा विद्यन्ते यस्मिन् सोऽग्निः (नित्यम्) (उपयाति) समीपं गच्छति (यज्ञम्) सङ्गन्तव्यम् (प्रजावन्तम्) बह्व्यः प्रजा विद्यन्ते यस्मिँस्तम् (स्वपत्यम्) उत्तमैरपत्यैर्युक्तम् (क्षयम्) गृहम् (नः) अस्माकम् (स्वजन्मना) स्वस्य जन्मना (शेषसा) शेषीभूतेन (वावृधानम्) वर्धमानं वर्धयन्तम् ॥१२॥
Connotation: - हे मनुष्या ! योऽग्निः प्रादुर्भूतेन द्वितीयेन जन्मना प्रजाः सुसन्तानान् गृहञ्च प्रापयति तमग्निं प्रसाध्नुत ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो अग्नी द्विजन्माने प्रजा, सुंदर संताने व घर प्राप्त करवून देतो त्याला प्रसिद्ध करा. ॥ १२ ॥