स इत्तन्तुं॒ स वि जा॑ना॒त्योतुं॒ स वक्त्वा॑न्यृतु॒था व॑दाति। य ईं॒ चिके॑तद॒मृत॑स्य गो॒पा अ॒वश्चर॑न्प॒रो अ॒न्येन॒ पश्य॑न् ॥३॥
sa it tantuṁ sa vi jānāty otuṁ sa vaktvāny ṛtuthā vadāti | ya īṁ ciketad amṛtasya gopā avaś caran paro anyena paśyan ||
सः। इत्। तन्तु॑म्। सः। वि। जा॒ना॒ति॒। ओतु॑म्। सः। वक्त्वा॑नि। ऋ॒तु॒ऽथा। व॒दा॒ति॒। यः। ई॒म्। चिके॑तत्। अ॒मृत॑स्य। गो॒पाः। अ॒वः। चर॑न्। प॒रः। अ॒न्येन॑। पश्य॑न् ॥३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर अपत्य विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनरपत्यविषमाह ॥
हे मनुष्या ! योऽमृतस्य गोपा अन्येन पश्यन्नवः परश्चरन्नीं चिकेतत्स इत्तन्तुं स ओतुं वि जानाति स ऋतुथा वक्त्वानि वदाति ॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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