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स इत्तन्तुं॒ स वि जा॑ना॒त्योतुं॒ स वक्त्वा॑न्यृतु॒था व॑दाति। य ईं॒ चिके॑तद॒मृत॑स्य गो॒पा अ॒वश्चर॑न्प॒रो अ॒न्येन॒ पश्य॑न् ॥३॥

English Transliteration

sa it tantuṁ sa vi jānāty otuṁ sa vaktvāny ṛtuthā vadāti | ya īṁ ciketad amṛtasya gopā avaś caran paro anyena paśyan ||

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Pad Path

सः। इत्। तन्तु॑म्। सः। वि। जा॒ना॒ति॒। ओतु॑म्। सः। वक्त्वा॑नि। ऋ॒तु॒ऽथा। व॒दा॒ति॒। यः। ई॒म्। चिके॑तत्। अ॒मृत॑स्य। गो॒पाः। अ॒वः। चर॑न्। प॒रः। अ॒न्येन॑। पश्य॑न् ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:9» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर अपत्य विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (अमृतस्य) नित्य पदार्थ का (गोपाः) रक्षक (अन्येन) अन्य से (पश्यन्) देखता हुआ (अवः) नीचे (परः) ऊपर स्थित दूसरा (चरन्) चलाता हुआ (ईम्) जल के सदृश शुक्र को (चिकेतत्) जानता है (सः, इत्) वही (तन्तुम्) कारण को (सः) वह (ओतुम्) रक्षक को (वि, जानाति) विशेष करके जानता है (सः) वह (ऋतुथा) जैसे काल-काल में, वैसे (वक्त्वानि) कथन करने योग्यों को (वदाति) कहे ॥३॥
Connotation: - जो ब्रह्मचर्य्य के द्वारा यथार्थवक्ताओं से विद्या और शिक्षा को प्राप्त होते हैं, वे ही इस जगत् के पूर्ण कारण के पूर्ण कारण को जानने को समर्थ होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरपत्यविषमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! योऽमृतस्य गोपा अन्येन पश्यन्नवः परश्चरन्नीं चिकेतत्स इत्तन्तुं स ओतुं वि जानाति स ऋतुथा वक्त्वानि वदाति ॥३॥

Word-Meaning: - (सः) (इत्) एव (तन्तुम्) कारणम् (सः) (वि) (जानाति) (ओतुम्) रक्षकम् (सः) (वक्त्वानि) वक्तव्यानि (ऋतुथा) ऋतुष्विव (वदाति) वदेत् (यः) (ईम्) उदकमिव शुक्रम् (चिकेतत्) विजानाति (अमृतस्य) नित्यस्य पदार्थस्य (गोपाः) रक्षकः (अवः) अधस्तात् (चरन्) (परः) उपरिष्ठो द्वितीयः (अन्येन) (पश्यन्) समीक्षमाणः ॥३॥
Connotation: - ये ब्रह्मचर्य्येणाप्तेभ्यो विद्याशिक्षे प्राप्नुवन्ति त एवास्य जगतः पूर्णं कारणं ज्ञातुं ज्ञापयितुञ्च शक्नुवन्ति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे ब्रह्मचर्याद्वारे विद्वानांकडून विद्या व शिक्षण घेतात तेच जगाचे कारण जाणण्यास समर्थ असतात. ॥ ३ ॥