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अ॒स्माक॑मग्ने म॒घव॑त्सु धार॒याऽना॑मि क्ष॒त्रम॒जरं॑ सु॒वीर्य॑म्। व॒यं ज॑येम श॒तिनं॑ सह॒स्रिणं॒ वैश्वा॑नर॒ वाज॑मग्ने॒ तवो॒तिभिः॑ ॥६॥

English Transliteration

asmākam agne maghavatsu dhārayānāmi kṣatram ajaraṁ suvīryam | vayaṁ jayema śatinaṁ sahasriṇaṁ vaiśvānara vājam agne tavotibhiḥ ||

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Pad Path

अ॒स्माक॑म्। अ॒ग्ने॒। म॒घव॑त्ऽसु। धा॒र॒य॒। अना॑मि। क्ष॒त्रम्। अ॒जर॑म्। सु॒ऽवीर्य॑म्। व॒यम्। ज॒ये॒म॒। श॒तिन॑म्। स॒ह॒स्रिण॑म्। वैश्वा॑नर। वाज॑म्। अ॒ग्ने॒। तव॑। ऊ॒तिऽभिः॑ ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:8» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:10» Mantra:6 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वैश्वानर) संसार के अग्रणी (अग्ने) अग्नि के सदृश विद्वन् राजन् ! (वयम्) हम लोग (तव) आपकी (ऊतिभिः) रक्षा आदि के साथ (शतिनम्) सैकड़ों प्रकार से योद्धाओं से और (सहस्रिणम्) सहस्रों योद्धाओं से संयुक्त (वाजम्) संग्राम को (जयेम) जीतें । तथा हे (अग्ने) तेजस्विन् ! जैसे (अस्माकम्) हम लोगों के (मघवत्सु) बहुत धनों से युक्त प्रजाजनों में (सुवीर्य्यम्) उत्तम बल (अजरम्) नाशरहित (क्षत्रम्) राज्य वा धन (अनामि) नम्र होवे वैसा (धारय) धारण करो ॥६॥
Connotation: - जो राजा और सेना के अध्यक्ष धार्मिक, विद्वान्, न्यायकारी और जितेन्द्रिय हों तो उनका सर्वत्र विजय होता है ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे वैश्वानराऽग्ने विद्वन् राजन् ! वयं तवोतिभिः सह शतिनं सहस्रिणं वाजं जयेम। हे अग्ने ! यथाऽस्माकं मघवत्सु सुवीर्य्यमजरं क्षत्रमनामि तथा धारय ॥६॥

Word-Meaning: - (अस्माकम्) (अग्ने) अग्निरिव विद्वन् राजन् (मघवत्सु) बहुधनयुक्तेषु प्रजाजनेषु (धारय) (अनामि) नम्येत (क्षत्रम्) राष्ट्रं धनं वा (अजरम्) नाशरहितम् (सुवीर्य्यम्) उत्तमं बलम् (वयम्) (जयेम) (शतिनम्) शतधा योद्धृसेनासहितम् (सहस्रिणम्) सहस्रैर्योद्धृभिः संयुक्तम् (वैश्वानर) विश्वस्य नायक (वाजम्) सङ्ग्रामम् (अग्ने) तेजस्विन् (तव) (ऊतिभिः) रक्षाभिः सह ॥६॥
Connotation: - यदि राजा सेनाध्यक्षा धार्म्मिका विद्वांसो न्यायकारिणो जितेन्द्रियाः स्युस्तर्हि तेषां सर्वत्र विजयो भवति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जर राजा व सेनाध्यक्ष धार्मिक, विद्वान, न्यायकारी व जितेन्द्रिय असतील तर त्यांचा सर्वत्र विजय होतो. ॥ ६ ॥