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अव॑सृष्टा॒ परा॑ पत॒ शर॑व्ये॒ ब्रह्म॑संशिते। गच्छा॒मित्रा॒न्प्र प॑द्यस्व॒ मामीषां॒ कं च॒नोच्छि॑षः ॥१६॥

English Transliteration

avasṛṣṭā parā pata śaravye brahmasaṁśite | gacchāmitrān pra padyasva māmīṣāṁ kaṁ canoc chiṣaḥ ||

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Pad Path

अव॑ऽसृष्टा। परा॑। प॒त॒। शर॑व्ये। ब्रह्म॑ऽसंशिते। गच्छ॑। अ॒मित्रा॑न्। प्र। प॒द्य॒स्व॒। मा। अ॒मीषा॑म्। कम्। च॒न। उत्। शि॒षः॒ ॥१६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:75» Mantra:16 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:16


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर सेनापति सेना को क्या आज्ञा दे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (शरव्ये) बाणों को व्याप्त होनेवालों में उत्तम (ब्रह्मशंसिते) वेद जाननेवाले सेनापति से प्रशंसा पाई हुई सेना ! तू (अवसृष्टा) शत्रुओं के उपर पड़ी हुई (परा) हम लोगों से पराङ्मुख (पत) जाओ तथा (अमित्रान्) शत्रुओं के समीप (गच्छ) पहुँचो (प्र, पद्यस्व) प्राप्त होओ अर्थात् शत्रुजनों पर चढ़ाई करो और (अमीषाम्) परोक्षस्थ शत्रुओं के बीच (कम्, चन) किसी को भी (मा) मत (उत्, शिषः) शेष छोड़ो ॥१६॥
Connotation: - सेनापति पहिले सेना को अच्छी शिक्षा देकर जब सङ्ग्राम में उपस्थित हो, तब अपनी सेना को आज्ञा दे कि शत्रुओं के बीच से एक को भी न छोड़ ॥१६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सेनापतिः सेनां किमाज्ञपयेदित्याह ॥

Anvay:

हे शरव्ये ब्रह्मशंसिते सेने ! त्वमवसृष्टा परा पताऽमित्रान् गच्छ प्र पद्यस्वाऽमीषां शत्रूणां कं चन मोच्छिषः ॥१६॥

Word-Meaning: - (अवसृष्टा) शत्रूणामुपरि निपतिता (परा) अस्मत्पराङ्मुखा (पत) (शरव्ये) ये शरान् व्याप्नुवन्ति तत्र साध्वि (ब्रह्मसंशिते) ब्रह्मणा वेदविदा सेनापतिना प्रशंसिते (गच्छ) (अमित्रान्) शत्रून् (प्र) (पद्यस्व) (मा) (अमीषाम्) परोक्षस्थानां मध्यात् (कम्) (चन) अपि (उत्) (शिषः) शिष्टं मा त्यज ॥१६॥
Connotation: - सेनापतिः पूर्वं सेनां सुशिक्ष्य यदा सङ्ग्राम उपतिष्ठेत्तदा स्वसेनामाज्ञपयेद्यच्छत्रूणां मध्यादेकमपि शिष्टं मा त्यजेति ॥१६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - सेनापतीने प्रथम सेनेला चांगले शिक्षण द्यावे व युद्धात लढाईच्या वेळी आपल्या सेनेला आज्ञा करावी की, शत्रूच्या एकाही माणसाला सोडू नका. ॥ १६ ॥