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ता हि श्रेष्ठा॑ दे॒वता॑ता तु॒जा शूरा॑णां॒ शवि॑ष्ठा॒ ता हि भू॒तम्। म॒घोनां॒ मंहि॑ष्ठा तुवि॒शुष्म॑ ऋ॒तेन॑ वृत्र॒तुरा॒ सर्व॑सेना ॥२॥

English Transliteration

tā hi śreṣṭhā devatātā tujā śūrāṇāṁ śaviṣṭhā tā hi bhūtam | maghonām maṁhiṣṭhā tuviśuṣma ṛtena vṛtraturā sarvasenā ||

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Pad Path

ता। हि। श्रेष्ठा॑। दे॒वऽता॑ता। तु॒जा। शूरा॑णाम्। शवि॑ष्ठा। ता। हि। भू॒तम्। म॒घोना॑म्। मंहि॑ष्ठा। तु॒वि॒ऽशुष्मा॑। ऋ॒तेन॑। वृ॒त्र॒ऽतुरा॑। सर्व॑ऽसेना ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:68» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:11» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर कौन यहाँ राजजन उत्तम और सत्कार करने योग्य हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (हि) ही (देवताता) सत्यव्यवहार यज्ञ में (श्रेष्ठा) उत्तम (तुजा) दुष्टों की हिंसा करनेवाले (शूराणाम्) निर्भय जनों में (शविष्ठा) अतीव बलवान् (भूतम्) होते हैं और जो (हि) निश्चय के साथ (मघोनाम्) धनाढ्यों के बीच (मंहिष्ठा) अतीव सत्कार करने योग्य (ऋतेन) सत्य आचरण से (तुविशुष्मा) बहुत बल और सेना से युक्त (वृत्रतुरा) जो मेघ के समान बढ़े हुए शत्रुओं का विनाश करनेवाले (सर्वसेना) समग्र सेनाओं से युक्त सभा और सेनाधीश वर्त्तमान हैं (ता) वे सत्कार करने योग्य हैं और (ता) वे ही उत्तम अधिकार में स्थापन करने योग्य हैं ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो सत्य न्याय से प्रजा की पालना करने में प्रयत्न करते हुए, सब प्रकार की विद्या और सर्वोत्तम सेनाओं से युक्त, दुष्टों की हिंसा से श्रेष्ठ, धनाढ्य और वीर-पुरुषों की रक्षा करनेवाले होवें, वे धन्यवाद के योग्य हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः केऽत्र राजजना उत्तमाः पूजनीयाश्चेत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यौ हि देवताता श्रेष्ठा तुजा शूराणां शविष्ठा भूतं यौ हि मघोनां मध्ये मंहिष्ठा ऋतेन तुविशुष्मा वृत्रतुरा सर्वसेना सभासेनेशौ वर्त्तेते ता सत्कर्त्तव्यौ ता ह्युत्तमाधिकारे स्थापनीयौ ॥२॥

Word-Meaning: - (ता) तौ (हि) यतः (श्रेष्ठा) उत्तमौ (देवताता) देवतातौ सत्ये व्यवहारे यज्ञे (तुजा) दुष्टानां हिंसकौ (शूराणाम्) निर्भयानाम् (शविष्ठा) अतिशयेन बलवन्तौ (ता) तौ (हि) खलु (भूतम्) भवतः (मघोनाम्) धनाढ्यानाम् (मंहिष्ठा) अतिशयेन पूजनीयौ (तुविशुष्मा) बहुबलसेनायुक्तौ (ऋतेन) सत्याचरणेन (वृत्रतुरा) यौ वृत्राणां मेघवदुन्नतानां शत्रूणां तुरौ हिंसकौ (सर्वसेना) समग्राः सेना ययोस्तौ ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या ! ये सत्येन न्यायेन प्रजापालने प्रयतमानाः सर्वविद्याः सर्वोत्तमसेना दुष्टानां हिंसनेन श्रेष्ठानां धनाढ्यानां वीरपुरुषाणां च रक्षकाः स्युस्ते धन्यवादार्हाः सन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जे खऱ्या न्यायाने प्रजेचे पालन करण्याचा प्रयत्न करतात, सर्व प्रकारच्या विद्या व सेनेने युक्त होऊन दुष्टांची हिंसा व श्रेष्ठ, धनवान, वीर पुरुषांचे रक्षक असतात ते धन्यवादास पात्र असतात. ॥ २ ॥