इ॒दा हि वो॑ विध॒ते रत्न॒मस्ती॒दा वी॒राय॑ दा॒शुष॑ उषासः। इ॒दा विप्रा॑य॒ जर॑ते॒ यदु॒क्था नि ष्म॒ माव॑ते वहथा पु॒रा चि॑त् ॥४॥
idā hi vo vidhate ratnam astīdā vīrāya dāśuṣa uṣāsaḥ | idā viprāya jarate yad ukthā ni ṣma māvate vahathā purā cit ||
इ॒दा। हि। वः॒। वि॒ध॒ते। रत्न॑म्। अस्ति॑। इ॒दा। वी॒राय॑। दाशुषे॑। उ॒ष॒सः॒। इ॒दा। विप्रा॑य। जर॑ते। यत्। उ॒क्था। नि। स्म॒। माऽव॑ते। व॒ह॒थ॒। पु॒रा। चि॒त् ॥४॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वे कैसी हों, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्ताः कीदृश्यो भवेयुरित्याह ॥
हे वीरपुरुषा ! यथोषासस्तथैव वर्त्तमाना भार्या यदि प्राप्नुत तदेदा हि वो विधते रत्नमस्तीदा दाशुषे वीरायेदा जरते विप्राय मावते पुरा चिद्यदुक्थाः सन्ति तानि स्म चिन्नि वहथा ॥४॥
MATA SAVITA JOSHI
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