ता व॒ल्गू द॒स्रा पु॑रु॒शाक॑तमा प्र॒त्ना नव्य॑सा॒ वच॒सा वि॑वासे। या शंस॑ते स्तुव॒ते शंभ॑विष्ठा बभू॒वतु॑र्गृण॒ते चि॒त्ररा॑ती ॥५॥
tā valgū dasrā puruśākatamā pratnā navyasā vacasā vivāse | yā śaṁsate stuvate śambhaviṣṭhā babhūvatur gṛṇate citrarātī ||
ता। व॒ल्गू। द॒स्रा। पु॒रु॒शाक॑ऽतमा। प्र॒त्ना। नव्य॑सा। वच॑सा। आ। वि॒वा॒से॒। या। शंस॑ते। स्तु॒व॒ते। शम्ऽभ॑विष्ठा। ब॒भू॒वतुः॑। गृ॒ण॒ते। चि॒त्ररा॑ती॒ इति॑ चि॒त्रऽरा॑ती ॥५॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वे कैसे हैं, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तौ कीदृशावित्याह ॥
हे मनुष्या ! यथाहं या वल्गू दस्रा प्रत्ना नव्यसा वचसा पुरुशाकतमा चित्रराती शंसते स्तुवते गृणते शम्भविष्ठा बभूवतुस्ताऽऽविवासे तथैतो यूयमपि सेवध्वम् ॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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