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इ॒यं शुष्मे॑भिर्बिस॒खाइ॑वारुज॒त्सानु॑ गिरी॒णां त॑वि॒षेभि॑रू॒र्मिभिः॑। पा॒रा॒व॒त॒घ्नीमव॑से सुवृ॒क्तिभिः॒ सर॑स्वती॒मा वि॑वासेम धी॒तिभिः॑ ॥२॥

English Transliteration

iyaṁ śuṣmebhir bisakhā ivārujat sānu girīṇāṁ taviṣebhir ūrmibhiḥ | pārāvataghnīm avase suvṛktibhiḥ sarasvatīm ā vivāsema dhītibhiḥ ||

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Pad Path

इ॒यम्। शुष्मे॑भिः। बि॒स॒खाःऽइ॑व। अ॒रु॒ज॒त्। सानु॑। गि॒री॒णाम्। त॒वि॒षेभिः॑। ऊ॒र्मिऽभिः॑। पा॒रा॒व॒त॒ऽघ्नीम्। अव॑से। सु॒वृ॒क्तिऽभिः॑। सर॑स्वतीम्। आ। वि॒वा॒से॒म॒। धी॒तिऽभिः॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:61» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:30» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह क्या करती है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! जो (इयम्) यह (शुष्मेभिः) बलों से (बिसखाइव) कमल के तन्तु को खोदनेवाले के समान (तविषेभिः) बलों और (ऊर्मिभिः) तरङ्गों से (गिरीणाम्) मेघों के (सानु) शिखर को (अरुजत्) भङ्ग करती है उस (पारावतघ्नीम्) आरपार को नष्ट करनेवाली (सरस्वतीम्) वेगवती नदी को (धीतिभिः) धारण और (सुवृक्तिभिः) छिन्न-भिन्न करनेवाली क्रियाओं से (अवसे) रक्षा के लिये जैसे हम लोग (आ, विवासेम) सेवें, वैसे तुम भी इसको सदा सेवो ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जैसे कमलनाल तन्तुओं को खोदनेवाला कमलनाल तन्तुओं को प्राप्त होता है, वैसे ही पुरुषार्थी मनुष्य उत्तम विद्या को प्राप्त होते हैं और जैसे बिजुली मेघ के अङ्गों को छिन्न-भिन्न करती है, वैसे ही सुन्दर शिक्षित वाणी अविद्या के अङ्गों और संशयों का नाश करती है ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सा किं करोतीत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! येयं शुष्मेभिर्बिसखाइव तविषेभिरूर्भिभिर्गिरीणां सान्वरुजत्तां पारावतघ्नीं सरस्वतीं धीतिभिः सुवृक्तिभिरवसे यथा वयमा विवासेम तथा यूयमिमां सदा सेवध्वम् ॥२॥

Word-Meaning: - (इयम्) (शुष्मेभिः) बलैः (बिसखाइव) यो बिसं कमलतन्तुं खनति तद्वद्वर्त्तमानाः (अरुजत्) भनक्ति (सानु) शिखरम् (गिरीणाम्) मेघानाम् (तविषेभिः) बलैः (ऊर्मिभिः) तरङ्गैः (पारावतघ्नीम्) पारावारघातिनीम् (अवसे) रक्षणाद्याय (सुवृक्तिभिः) सुष्ठुच्छेदिकाभिः क्रियाभिः (सरस्वतीम्) (आ) (विवासेम) सेवेमहि (धीतिभिः) ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा बिसतन्तुखनको बिसानि प्राप्नोति तथैव पुरुषार्थिनो मनुष्या उत्तमां विद्यां प्राप्नुवन्ति यथा विद्युन्मेघावयवाञ्छिनत्ति तथैव सुशिक्षिता वागविद्यावयवान् संशयान्नाशयति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे कमलतंतू खोदणारा ते प्राप्त करतो तशी पुरुषार्थी माणसे उत्तम विद्या प्राप्त करतात व जशी विद्युत मेघाचे अवयव नष्ट करते तशी सुशिक्षित वाणी अविद्येची अंगे व संशय नष्ट करते. ॥ २ ॥