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इन्द्रा॑ग्नी॒ को अ॒स्य वां॒ देवौ॒ मर्त॑श्चिकेतति। विषू॑चो॒ अश्वा॑न्युयुजा॒न ई॑यत॒ एकः॑ समा॒न आ रथे॑ ॥५॥

English Transliteration

indrāgnī ko asya vāṁ devau martaś ciketati | viṣūco aśvān yuyujāna īyata ekaḥ samāna ā rathe ||

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Pad Path

इन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑। कः। अ॒स्य। वा॒म्। देवौ॑। मर्तः॑। चि॒के॒त॒ति॒। विषू॑चः। अश्वा॑न्। यु॒यु॒जा॒नः। ई॒य॒ते॒। एकः॑। स॒मा॒ने। आ। रथे॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:59» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:25» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

कौन मनुष्य पदार्थविद्या को जानने योग्य हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशको ! (कः) कौन (अस्य) इस जगत् के बीच वर्त्तमान (मर्त्तः) मनुष्य (विषूचः) व्याप्त (अश्वान्) शीघ्रगामी बिजुली आदि पदार्थों को (समाने) समान (रथे) विमान आदि यान में (युयुजानः) युक्त करता हुआ (एकः) एक विद्वान् (देवौ) दिव्यगुणकर्मस्वभावयुक्त (इन्द्राग्नी) वायु और बिजुली को (चिकेतति) जानता है, वह (वाम्) तुम दोनों को (आ, ईयते) प्राप्त होता है ॥५॥
Connotation: - हे विद्वानो ! कौन यहाँ पदार्थविद्या का जाननेवाला, विमान आदि यानों का निर्माण करनेवाला शीघ्रगामी हो, इसका उत्तर पीछे दिया यह तुम सुनो ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

के मनुष्याः पदार्थविद्यां वेत्तुमर्हन्तीत्याह ॥

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशकौ ! कोऽस्य जगतो मध्ये वर्त्तमानो मर्त्तो विषूचोऽश्वान् समाने रथे युयुजान एको देवाविन्द्राग्नी चिकेतति स वामेयते ॥५॥

Word-Meaning: - (इन्द्राग्नी) वायुविद्युतौ (कः) (अस्य) (वाम्) युवाम् (देवौ) दिव्यगुणकर्मस्वभावौ (मर्त्तः) (चिकेतति) (विषूचः) व्याप्तान् (अश्वान्) आशुगामिनो विद्युदादीन् (युयुजानः) युक्तान् कुर्वन् (ईयते) गच्छति (एकः) असहायः (समाने) (आ) (रथे) विमानादौ याने ॥५॥
Connotation: - हे विद्वांसः ! कोऽत्र पदार्थविद्याविद्विमानादियाननिर्माता सद्यो गन्ता स्यादित्यस्योत्तरं परस्ताद्दत्तमिति शृणुत ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे विद्वानांनो ! येथे पदार्थविद्या जाणणारा कोण आहे? विमान इत्यादी याने तयार करणारा कोण वीर आहे? याचे उत्तर पुढे आहे ते ऐका. ॥ ५ ॥