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यास्ते॑ पूष॒न्नावो॑ अ॒न्तः स॑मु॒द्रे हि॑र॒ण्ययी॑र॒न्तरि॑क्षे॒ चर॑न्ति। ताभि॑र्यासि दू॒त्यां सूर्य॑स्य॒ कामे॑न कृत॒ श्रव॑ इ॒च्छमा॑नः ॥३॥

English Transliteration

yās te pūṣan nāvo antaḥ samudre hiraṇyayīr antarikṣe caranti | tābhir yāsi dūtyāṁ sūryasya kāmena kṛta śrava icchamānaḥ ||

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Pad Path

याः। ते॒। पू॒ष॒न्। नावः॑। अ॒न्तरिति॑। स॒मु॒द्रे। हि॒र॒ण्ययीः॑। अ॒न्तरि॑क्षे। चर॑न्ति। ताभिः॑। या॒सि॒। दू॒त्याम्। सूर्य॑स्य। कामे॑न। कृ॒त॒। श्रवः॑। इ॒च्छमा॑नः ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:58» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:24» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् किसको बना कहाँ जाकर क्या पावे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (कृत) किये हुए विद्वन् ! (पूषन्) भूमि के समान पुष्टियुक्त ! (याः) जो (ते) आपकी (हिरण्यययीः) तेजोमयी सुवर्णादिकों से सुभूषित (नावः) प्रशंसनीय नौकायें (समुद्रे) समुद्र वा (अन्तरिक्षे) अन्तरिक्ष में (अन्तः) भीतर (चरन्ति) जाती हैं (ताभिः) उनसे (कामेन) कामना करके (श्रवः) अन्नादिक की (इच्छमानः) इच्छा करते हुए (सूर्यस्य) सूर्य्य के (दूत्याम्) दूत की क्रिया के समान कामना को (यासि) प्राप्त होते हो, इससे धन्य हो ॥३॥
Connotation: - जो मनुष्य सुदृढ़ नावें और भूविमानों को भूमि और अन्तरिक्ष में चलनेवाले यानों को अन्तरिक्ष में चलने को रचते और उनसे देश-देशान्तरों को जाय आकर अपनी इच्छा को पूरी करते हैं, वे ही सूर्य्य के समान प्रकाशित कीर्तिवाले होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वान् किं निर्माय क्व गत्वा किं प्राप्नुयादित्याह ॥

Anvay:

हे कृत पूषन् ! यास्ते हिरण्ययीर्नावः समुद्रेऽन्तरिक्षेऽन्तश्चरन्ति ताभिः कामेन श्रव इच्छमानस्सूर्यस्य दूत्यामिव कामनां यासि तस्माद्धन्योऽसि ॥३॥

Word-Meaning: - (याः) (ते) तव (पूषन्) भूमिरिव पुष्टियुक्त (नावः) प्रशंसनीया नौकाः (अन्तः) मध्ये (समुद्रे) सागरे (हिरण्ययीः) तेजोमय्यः सुवर्णादिसुभूषिताः (अन्तरिक्षे) आकाशे (चरन्ति) गच्छन्ति (ताभिः) (यासि) (दूत्याम्) दूतस्य क्रियामिव (सूर्यस्य) (कामेन) (कृत) यो विद्वान् कृतस्तत्सम्बुद्धौ (श्रवः) अन्नादिकम् (इच्छमानः) ॥३॥
Connotation: - ये मनुष्या सुदृढा नावो भूविमानानि भुव्यन्तरिक्षविमानान्यन्तरिक्षे च गमनाय रचयन्ति तैश्च देशदेशान्तरं गत्वाऽऽगत्य कामनामलं कुर्वन्ति त एव सूर्य्यवत् प्रकाशितकीर्त्तयो भवन्ति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे समुद्रात दृढ नावा व अंतरिक्षात जाण्यासाठी विमाने तयार करतात, त्याद्वारे देशदेशांतरी जातात-येतात व आपली इच्छा पूर्ण करतात तीच सूर्याप्रमाणे प्रकाशित होऊन कीर्तिमान बनतात. ॥ ३ ॥