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अ॒जाश्वः॑ पशु॒पा वाज॑पस्त्यो धियंजि॒न्वो भुव॑ने॒ विश्वे॒ अर्पि॑तः। अष्ट्रां॑ पू॒षा शि॑थि॒रामु॒द्वरी॑वृजत्सं॒चक्षा॑णो॒ भुव॑ना दे॒व ई॑यते ॥२॥

English Transliteration

ajāśvaḥ paśupā vājapastyo dhiyaṁjinvo bhuvane viśve arpitaḥ | aṣṭrām pūṣā śithirām udvarīvṛjat saṁcakṣāṇo bhuvanā deva īyate ||

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Pad Path

अ॒जऽअ॑श्वः। प॒शु॒ऽपाः। वाज॑ऽपस्त्यः। धि॒य॒म्ऽजि॒न्वः। भुव॑ने। विश्वे॑। अर्पि॑तः। अष्ट्रा॑म्। पू॒षा। शि॒थि॒राम्। उ॒त्ऽवरी॑वृजत्। स॒म्ऽचक्षा॑णः। भुव॑ना। दे॒वः। ई॒य॒ते॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:58» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:24» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (अजाश्वः) भेड़ बकरी और घोड़ों को रखनेवाला (पशुपाः) जो पशुओं की रक्षा करनेवाला तथा (वाजपस्त्यः) घर में अन्नों को रखनेवाला (धियंजिन्वः) बुद्धि को तृप्त करता है वह (विश्वे) समग्र (भुवने) संसार में (अर्पितः) स्थापन किया हुआ (पूषा) पुष्टि करनेवाला (शिथिराम्) शिथिल और (अष्ट्राम्) पदार्थों में व्याप्त बुद्धि और (भुवना) गृहों की (सञ्चक्षाणः) अच्छे प्रकार कामना वा उनका उपदेश करता हुआ (देवः) विद्वान् (ईयते) प्राप्त होता वा जाता है तथा (उद्वरीवृजत्) उत्तमता से वर्जता है, उसका तुम लोग सेवन करो ॥२॥
Connotation: - जो मनुष्य भुवनस्थ सब पदार्थों को मिले वा मिले जान कर कार्य्यों को करते हैं, वे बुद्धिमान् होते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वान् किं कुर्य्यादित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! योऽजाश्वः पशुपा वाजपस्त्यो धियंजिन्वो विश्वे भुवनेऽर्पितः पूषा शिथिरामष्ट्रां भुवना च सञ्चक्षाणो देव ईयत उद्वरीवृजत्तं यूयं सेवध्वम् ॥२॥

Word-Meaning: - (अजाश्वः) अजा अश्वाश्च यस्य सः। (पशुपाः) यः पशून् पाति रक्षति (वाजपस्त्यः) वाजान्यन्नानि पस्त्ये गृहे यस्य सः (धियंजिन्वः) यो धियं जिन्वति प्रीणाति सः (भुवने) संसारे (विश्वे) समग्रे (अर्पितः) स्थापितः (अष्ट्राम्) व्याप्ताम् (पूषा) पोषकः (शिथिराम्) शिथिलाम् (उद्वरीवृजत्) भृशं वर्जयति (सञ्चक्षाणः) सम्यक् कामयन्नुपदिशन् वा (भुवना) गृहाणि (देवः) विद्वान् (ईयते) प्राप्नोति गच्छति वा ॥२॥
Connotation: - ये मनुष्या भुवनस्थान् सर्वान् पदार्थान् संयुक्तान् वियुक्तांश्च विज्ञाय कार्य्याणि कुर्वन्ति ते धीमन्तो भवन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे जगातील पदार्थ मिळो वा न मिळो, याची अपेक्षा न करता कार्य करतात ती बुद्धिमान असतात. ॥ २ ॥