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र॒थीत॑मं कप॒र्दिन॒मीशा॑नं॒ राध॑सो म॒हः। रा॒यः सखा॑यमीमहे ॥२॥

English Transliteration

rathītamaṁ kapardinam īśānaṁ rādhaso mahaḥ | rāyaḥ sakhāyam īmahe ||

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Pad Path

र॒थिऽत॑मम्। क॒प॒र्दिन॑म्। ईशा॑नम्। राध॑सः। म॒हः। रा॒यः। सखा॑यम्। ई॒म॒हे॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:55» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:21» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर कैसे पुरुष से धन प्राप्त करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! हम लोग जिस (महः) महान् (राधसः) धन के वा (रायः) साधारण धन के (ईशानम्) ऐश्वर्य्य से युक्त (रथीतमम्) जिसके बहुत रथ विद्यमान (कपर्दिनम्) जो जटाजूट ब्रह्मचारी (सखायम्) मित्र विद्वान् उसकी (ईमहे) याचना करते हैं, उसकी तुम भी याचना करो ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो ब्रह्मचारी होकर विद्या पढ़ा हुआ पुरुषार्थी तथा बहुत धन का स्वामी है, उसी से विद्या पढ़कर धन को प्राप्त होओ ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः कीदृशाद्धनं प्रापणीयमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! वयं यन्महो राधसो राय ईशानं रथीतमं कपर्दिनं सखायं विद्वांसमीमहे तं यूयमपि याचध्वम् ॥२॥

Word-Meaning: - (रथीतमम्) बहवो रथा विद्यन्ते यस्य तम् (कपर्दिनम्) जटाजूटं सखायं (ईशानम्) ऐश्वर्ययुक्तम् (राधसः) धनस्य (महः) महान् (रायः) साधारणधनस्य (सखायम्) मित्रम् (ईमहे) याचामहे ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यो ब्रह्मचारी भूत्वाऽधीतविद्यः पुरुषार्थी बहुधनस्य स्वामी वर्त्तते तस्मादेव विद्यामधीत्य श्रियः प्राप्नुत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो ब्रह्मचारी राहून विद्या शिकतो पुरुषार्थी बनून धनपती होतो. त्याच्याकडूनच विद्या शिका व धन प्राप्त करा. ॥ २ ॥