समु॑ पू॒ष्णा ग॑मेमहि॒ यो गृ॒हाँ अ॑भि॒शास॑ति। इ॒म ए॒वेति॑ च॒ ब्रव॑त् ॥२॥
sam u pūṣṇā gamemahi yo gṛhām̐ abhiśāsati | ima eveti ca bravat ||
सम्। ऊँ॒ इति॑। पू॒ष्णा। ग॒मे॒म॒हि॒। यः। गृ॒हान्। अ॒भि॒ऽशास॑ति। इ॒मे। ए॒व। इति॑। च॒। ब्रव॑त् ॥२॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
मनुष्यों को किसका सङ्ग निरन्तर विधान करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
मनुष्यैः कस्य सङ्गः सततं विधेय इत्याह ॥
य इम इत्थमेवेति ब्रवदु च गृहानभिशासति तेन पूष्णा सह वयं सङ्गमेमहि ॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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