या ते॒ अष्ट्रा॒ गोओ॑प॒शाघृ॑णे पशु॒साध॑नी। तस्या॑स्ते सु॒म्नमी॑महे ॥९॥
yā te aṣṭrā goopaśāghṛṇe paśusādhanī | tasyās te sumnam īmahe ||
या। ते॒। अष्ट्रा॑। गोऽओ॑पशा। आघृ॑णे। प॒शु॒ऽसाध॑नी। तस्याः॑। ते॒। सु॒म्नम्। ई॒म॒हे॒ ॥९॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
मनुष्यों को क्या बढ़ा कर किसकी प्रार्थना करनी चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
मनुष्यैः किं वर्धयित्वा किं प्रार्थनीयमित्याह ॥
हे आघृणे ! या तेऽष्ट्रा गोओपशा पशुसाधनी वर्तते तस्यास्ते सुम्नं वयमीमहे ॥९॥
MATA SAVITA JOSHI
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