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उ॒त द्या॑वापृथिवी क्ष॒त्रमु॒रु बृ॒हद्रो॑दसी शर॒णं सु॑षुम्ने। म॒हस्क॑रथो॒ वरि॑वो॒ यथा॑ नो॒ऽस्मे क्षया॑य धिषणे अने॒हः ॥३॥

English Transliteration

uta dyāvāpṛthivī kṣatram uru bṛhad rodasī śaraṇaṁ suṣumne | mahas karatho varivo yathā no sme kṣayāya dhiṣaṇe anehaḥ ||

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Pad Path

उ॒त। द्या॒वा॒पृ॒थि॒वी॒ इति॑। क्ष॒त्रम्। उ॒रु। बृ॒हत्। रो॒द॒सी॒ इति॑। श॒र॒णम्। सु॒सु॒म्ने॒ इति॑ सुऽसुम्ने। म॒हः। क॒र॒थः॒। वरि॑वः। यथा॑। नः॒। अ॒स्मे इति॑। क्षया॑य। धि॒ष॒णे॒ इति॑। अ॒ने॒हः ॥३॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:50» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन किसके तुल्य क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशको ! तुम (यथा) जैसे (रोदसी) बहुत कार्य और (सुषुम्ने) सुन्दर सुख करनेवाली (धिषणे) व्यवहारों को धारण करनेवाली (द्यावापृथिवी) बिजुली और भूमि (नः) हमारे (उरु) बहुत (बृहत्) महान् (शरणम्) आश्रय और (क्षत्रम्) धन राज्य वा क्षत्रियकुल को सिद्ध करते हैं, वैसे (महः) बड़े (वरिवः) सेवन (उत) और (अनेहः) न नष्ट करने योग्य व्यवहार (अस्मे) हम लोगों में (क्षयाय) निवास करने के लिये (करथः) सिद्ध करो ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो अध्यापन और उपदेश करनेवाले जन सूर्य और भूमि के तुल्य सब को विद्यादान, धारण और शरण देते हैं तथा जो सत्य, यथार्थवक्ता और विद्वानों की सेवा करते हैं, वे सर्वथा माननीय होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किंवत्किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशकौ ! युवां यथा रोदसी सुषुम्ने धिषणे द्यावापृथिवी न उरु बृहच्छरणं क्षत्रं कुरुतस्तथा महो वरिव उताऽनेहोऽस्मे क्षयाय करथः कुर्य्यातम् ॥३॥

Word-Meaning: - (उत) (द्यावापृथिवी) विद्युद्भूमी (क्षत्रम्) धनं राज्यं क्षत्रियकुलं वा (उरु) बहु (बृहत्) महत् (रोदसी) बहुकार्य्यकरे (शरणम्) आश्रयम् (सुषुम्ने) सुष्ठु सुखकरे (महः) महत् (करथः) (वरिवः) परिचरणम् (यथा) (नः) अस्माकम् (अस्मे) अस्मासु (क्षयाय) निवासाय (धिषणे) धारिके (अनेहः) अहन्तव्यं सततं रक्षणीयं व्यवहारम् ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। येऽध्यापकोपदेशकाः सूर्यभूमिवत्सर्वेभ्यो विद्यादानधारणशरणानि प्रयच्छन्ति तथा ये सत्यस्याप्तानां विदुषां च सततं सेवां कुर्वन्ति ते सर्वथा माननीया भवन्ति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे अध्यापन व उपदेश करणारे लोक सूर्य व भूमीप्रमाणे सर्वांना विद्यादान, धारण व शरण देतात. तसेच खऱ्या विद्वानांची सेवा करतात ते सदैव माननीय असतात. ॥ ३ ॥