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तन्नोऽहि॑र्बु॒ध्न्यो॑ अ॒द्भिर॒र्कैस्तत्पर्व॑त॒स्तत्स॑वि॒ता चनो॑ धात्। तदोष॑धीभिर॒भि रा॑ति॒षाचो॒ भगः॒ पुरं॑धिर्जिन्वतु॒ प्र रा॒ये ॥१४॥

English Transliteration

tan no hir budhnyo adbhir arkais tat parvatas tat savitā cano dhāt | tad oṣadhībhir abhi rātiṣāco bhagaḥ puraṁdhir jinvatu pra rāye ||

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Pad Path

तत्। नः॒। अहिः॑। बु॒ध्न्यः॑। अ॒त्ऽभिः। अ॒र्कैः। तत्। पर्व॑तः। तत्। स॒वि॒ता। चनः॑। धा॒त्। तत्। ओष॑धीभिः। अ॒भि। रा॒ति॒ऽसाचः॑। भगः॑। पुर॑म्ऽधिः। जि॒न्व॒तु॒। प्र। रा॒ये ॥१४॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:49» Mantra:14 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:7» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (अर्कैः) सत्कार साधनोंवाले (अद्भिः) जलादिकों के (ओषधीभिः) सोमलतादि ओषधियों के साथ (बुध्न्यः) अन्तरिक्ष में प्रसिद्ध हुआ (अहिः) मेघ (नः) हम लोगों के लिये (राये) धन के लिये (चनः) अन्नादिक को वा (तत्) उस गृह को (धात्) धारण करता वा (तत्) उसको (पर्वतः) पर्वताकार मेघ धारण करता वा (तत्) उसको (सविता) सूर्य धारण करता वा (तत्) उसको (रातिषाचः) दान करनेवाले धारण करते उसको (पुरन्धिः) जगत् को धारणकर्ता (भगः) ऐश्वर्यवान् (प्र, जिन्वतु) अच्छे प्रकार प्राप्त करावे, उसको (अभि) सब ओर से प्राप्त करावे ॥१४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे परमेश्वर ने प्राणियों के उपकार के लिये जगत् बनाया, वैसे इससे तुम लोग पुष्कल उपकार ग्रहण करो ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथाऽर्कैरद्भिरोषधीभिश्च सह बुध्न्योऽहिर्नो राये यच्चनस्तद्धात् तत्पर्वतो धात् तत्सविता धात् तद्रातिषाचो दधति तत्पुरन्धिर्भगः प्र जिन्वतु तदभि प्र जिन्वतु ॥१४॥

Word-Meaning: - (तत्) गृहम् (नः) अस्मभ्यम् (अहिः) मेघः (बुध्न्यः) अन्तरिक्षे भवः (अद्भिः) जलादिभिः (अर्कैः) सत्कारसाधनैः (तत्) (पर्वतः) मेघः (तत्) (सविता) सूर्य्यः (चनः) अन्नादिकम् (धात्) दधाति (तत्) (ओषधीभिः) सोमलतादिभिः (अभि) आभिमुख्ये (रातिषाचः) दानकर्त्तारः (भगः) भगवान् (पुरन्धिः) जगद्धर्त्ता (जिन्वतु) प्रापयतु (प्र) (राये) धनाय ॥१४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यथा परमेश्वरेण प्राण्युपकारार्थं जगन्निर्मितं तथाऽस्माद्यूयं पुष्कलानुपकारान् गृह्णीत ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जसे परमेश्वराने प्राण्यांवर उपकार करण्यासाठी जग निर्माण केलेले आहे तसा तुम्ही पुष्कळ उपकार करा. ॥ १४ ॥