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वा॒मी वा॒मस्य॑ धूतयः॒ प्रणी॑तिरस्तु सू॒नृता॑। दे॒वस्य॑ वा मरुतो॒ मर्त्य॑स्य वेजा॒नस्य॑ प्रयज्यवः ॥२०॥

English Transliteration

vāmī vāmasya dhūtayaḥ praṇītir astu sūnṛtā | devasya vā maruto martyasya vejānasya prayajyavaḥ ||

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Pad Path

वा॒मी। वा॒मस्य॑। धू॒त॒यः॒। प्रऽनी॑तिः। अ॒स्तु॒। सू॒नृता॑। दे॒वस्य॑। वा॒। म॒रु॒तः॒। मर्त्य॑स्य। वे॒जा॒नस्य॑। प्र॒ऽय॒ज्य॒वः॒ ॥२०॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:48» Mantra:20 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:4» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:20


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को कैसी नीति धारण करनी चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (धूतयः) कम्पन करानेवाले (प्रयज्यवः) उत्तमता से यज्ञसम्पादको ! तुम में (वामस्य) प्रशंसा करने योग्य का सम्बन्धी (वामी) बहुत प्रशंसित कर्मकर्ता और (देवस्य) विद्वान् की (वा) वा (मरुतः) मरणधर्मा तथा (ईजानस्य) यज्ञकर्त्ता (वा) वा (मर्त्यस्य) साधारण मनुष्य की (सूनृता) सत्यभाषणादि युक्त (प्रणीतिः) उत्तम नीति (अस्तु) हो ॥२०॥
Connotation: - आप्त राजा मन्त्रियों को उपदेश देवे कि आप लोग न्यायकारी तथा धर्मात्मा होकर पुत्र के समान प्रजाजनों को पालें ॥२०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः कीदृशी नीतिर्धार्येत्याह ॥

Anvay:

हे धूतयः प्रयज्यवो ! युष्मासु वामस्य वामी देवस्य वा मरुत ईजानस्य वा मर्त्यस्य सूनृता प्रणीतिरस्तु ॥२०॥

Word-Meaning: - (वामी) बहुप्रशस्तकर्मा (वामस्य) प्रशस्यस्य (धूतयः) कंपयितारः (प्रणीतिः) प्रकृष्टा नीतिः (अस्तु) (सूनृता) सत्यभाषणादियुक्ता (देवस्य) विदुषः (वा) (मरुतः) मरणधर्मस्य (मर्त्यस्य) साधारणमनुष्यस्य (वा) (ईजानस्य) यज्ञकर्तुः (प्रयज्यवः) प्रकर्षेण यज्ञसम्पादकाः ॥२०॥
Connotation: - आप्तो राजाऽमात्यानुपदिशेत् भवन्तो न्यायकारिणो धर्मात्मानो भूत्वा पुत्रवत्प्रजाः पालयन्त्विति ॥२०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - विद्वान राजाने मंत्र्यांना उपदेश करावा. तुम्ही न्यायी व धर्मात्मा बनून पुत्राप्रमाणे प्रजापालन करावे. ॥ २० ॥