Go To Mantra

त्वे॒षं शर्धो॒ न मारु॑तं तुवि॒ष्वण्य॑न॒र्वाणं॑ पू॒षणं॒ सं यथा॑ श॒ता। सं स॒हस्रा॒ कारि॑षच्चर्ष॒णिभ्य॒ आँ आ॒विर्गू॒ळ्हा वसू॑ करत्सु॒वेदा॑ नो॒ वसू॑ करत् ॥१५॥

English Transliteration

tveṣaṁ śardho na mārutaṁ tuviṣvaṇy anarvāṇam pūṣaṇaṁ saṁ yathā śatā | saṁ sahasrā kāriṣac carṣaṇibhya ām̐ āvir gūḻhā vasū karat suvedā no vasū karat ||

Mantra Audio
Pad Path

त्वे॒षम्। शर्धः॑। न। मारु॑तम्। तु॒वि॒ऽस्वणि॑। अ॒न॒र्वाण॑म्। पू॒षण॑म्। सम्। यथा॑। श॒ता। सम्। स॒हस्रा॑। कारि॑षत्। च॒र्ष॒णिऽभ्यः॑। आ। आ॒विः। गू॒ळ्हा। वसु॑। क॒र॒त्। सु॒ऽवेदा॑। नः॒। वसु॑। क॒र॒त् ॥१५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:48» Mantra:15 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:15


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वानों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! (यथा) जैसे (सुवेदा) सुशोभित विज्ञान जिसका वह (नः) हम लोगों के लिये (त्वेषम्) दीप्तिमत् (तुविष्वणि) बहुत शब्दोंवाले (मारुतम्) मनुष्य सम्बन्धी (शर्धः) बल के (न) समान (अनर्वाणम्) अविद्यमान हैं अश्व जिसमें उस पदार्थ को (पूषणम्) पुष्टि करनेवाला (करत्) करे वा जैसे (चर्षणिभ्यः) मनुष्यों के लिये (शता) सैकड़ों वा (सहस्रा) सहस्रों (गूळ्हा) गुप्त (वसू) धनों को (आ, सम्, कारिषत्) सब ओर अच्छे प्रकार सिद्ध करे और गुप्त (वसू) विज्ञान वा धनों को (सम्, आविष्करत्) प्रकट करे, वैसे इनको आप करें ॥१५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जैसे विद्वान् जन विज्ञानदान से गुप्त विद्याओं को तुम्हारे लिये प्रकट करते हैं और आपके शारीरिक और आत्मिक बल को बढ़ाते हैं, वैसे इनको तुम बढ़ाओ ॥१५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्भिः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! यथा सुवेदा नस्त्वेषं तुविष्वणि मारुतं शर्धो नानर्वाणं पूषणं करत् यथा चर्षणिभ्यः शता सहस्रा गूळ्हा वस्वा सं कारिषद् गूळ्हा वस्वा समाविष्करत्तथैतानि यूयं कुरुत ॥१५॥

Word-Meaning: - (त्वेषम्) दीप्तिमत् (शर्धः) बलम् (न) इव (मारुतम्) मनुष्याणामिदम् (तुविष्वणि) बहुस्वनम् (अनर्वाणम्) अविद्यमानाश्वम् (पूषणम्) पुष्टिकरम् (सम्) (यथा) (शता) शतानि (सम्) सम्यक् (सहस्रा) सहस्राणि (कारिषत्) कुर्यात् (चर्षणिभ्यः) मनुष्येभ्यः (आ) समन्तात् (आविः) प्राकट्ये (गूळ्हा) गुप्तानि (वसू) धनानि। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (करत्) कुर्यात् (सुवेदा) शोभनं विज्ञानं यस्य सः (नः) अस्मभ्यम् (वसू) विज्ञानानि धनानि वा (करत्) कुर्यात् ॥१५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! यथा विद्वांसो विज्ञानदानेन गुप्ता विद्या युष्मदर्थं प्रकटीकुर्वन्ति युष्माकं शरीरात्मबलं च वर्धयन्ति तथैतान् यूयं वर्धयत ॥१५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जसे विद्वान लोक विज्ञानाचे दान देऊन गुप्त विद्या तुमच्यासमोर प्रकट करतात व तुमचे शारीरिक व आत्मिक बल वाढवितात तसे तुम्ही त्यांना वाढवा. ॥ १५ ॥