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वन॑स्पते वी॒ड्व॑ङ्गो॒ हि भू॒या अ॒स्मत्स॑खा प्र॒तर॑णः सु॒वीरः॑। गोभिः॒ संन॑द्धो असि वी॒ळय॑स्वास्था॒ता ते॑ जयतु॒ जेत्वा॑नि ॥२६॥

English Transliteration

vanaspate vīḍvaṅgo hi bhūyā asmatsakhā prataraṇaḥ suvīraḥ | gobhiḥ saṁnaddho asi vīḻayasvāsthātā te jayatu jetvāni ||

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Pad Path

वन॑स्पते। वी॒ळुऽअ॑ङ्गः। हि। भू॒याः। अ॒स्मत्ऽस॑खा। प्र॒ऽतर॑णः। सु॒ऽवीरः॑। गोभिः॑। सम्ऽन॑द्धः। अ॒सि॒। वी॒ळय॑स्व। आ॒ऽस्था॒ता। ते॒। ज॒य॒तु॒। जेत्वा॑नि ॥२६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:47» Mantra:26 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:35» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:26


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा कैसे मित्रों की इच्छा करे, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वनस्पते) किरणों के पालन करनेवाले सूर्य्य के समान वर्त्तमान (हि) जिससे (वीङ्वङ्गः) बलिष्ठ अङ्ग जिसके वह (प्रतरणः) पार करनेवाले (सुवीरः) अच्छे प्रकार वीरों से युक्त (गोभिः) उत्तम प्रकार शिक्षित वाणियों के साथ (सन्नद्धः) अच्छे प्रकार तैयार हुए आप (असि) हो इससे (अस्मत्सखा) हम लोगों के मित्र (भूयाः) हूजिये और (आस्थाता) स्थिति से युक्त हुए हम लोगों को (वीळयस्व) दृढ़ कराइये (ते) आपकी सेना (जेत्वानि) जीतने योग्य शत्रुओं की सेनाओं को (जयतु) जीते ॥२६॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि धार्मिक बलवान् के साथ मित्रता करें, जिससे सर्वदा विजय हो ॥२६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा कीदृशान् सुहृद इच्छेदित्याह ॥

Anvay:

हे वनस्पते ! हि यतो वीङ्वङ्गः प्रतरणः सुवीरो गोभिस्सह सन्नद्धस्त्वमसि तस्मादस्मत्सखा भूयाः। आस्थाता सन्नस्मान् वीळयस्व ते सेना जेत्वानि जयतु ॥२६॥

Word-Meaning: - (वनस्पते) वनानां किरणानां पालकः सूर्य इव (वीड्वङ्गः) वीळूनि बलिष्ठान्यङ्गानि यस्य सः (हि) यतः (भूयाः) (अस्मत्सखा) अस्माकं मित्रम् (प्रतरणः) प्रतारकः (सुवीरः) सुष्ठु वीरयुक्तः (गोभिः) सुशिक्षिताभिर्वाग्भिः (सन्नद्धः) सम्यक् सज्जः (असि) (वीळयस्व) दृढान् कारय (आस्थाता) आस्थायुक्तः (ते) तव (जयतु) (जेत्वानि) जेतुं योग्यानि शत्रुसैन्यानि ॥२६॥
Connotation: - मनुष्यैर्धार्मिकेन बलवता मित्रता कार्या येन सर्वदा विजयः स्यात् ॥२६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी धार्मिक बलवानांबरोबर मैत्री करावी ज्यामुळे नेहमी विजय प्राप्त व्हावा. ॥ २६ ॥