कु॒वित्स॑स्य॒ प्र हि व्र॒जं गोम॑न्तं दस्यु॒हा गम॑त्। शची॑भि॒रप॑ नो वरत् ॥२४॥
kuvitsasya pra hi vrajaṁ gomantaṁ dasyuhā gamat | śacībhir apa no varat ||
कु॒वित्ऽस॑स्य। प्र। हि। व्र॒जम्। गोऽम॑न्तम्। द॒स्यु॒ऽहा। गम॑त्। शची॑भिः। अप॑। नः॒। व॒र॒त् ॥२४॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वह राजा कैसा होवे, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स राजा कीदृग्भवेदित्याह ॥
यो दस्युहा राजा शचीभिः कुवित्सस्य गोमन्तं व्रजमप गमत्स हि नः प्र वरत् ॥२४॥
MATA SAVITA JOSHI
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