स हि विश्वा॑नि॒ पार्थि॑वाँ॒ एको॒ वसू॑नि॒ पत्य॑ते। गिर्व॑णस्तमो॒ अध्रि॑गुः ॥२०॥
sa hi viśvāni pārthivām̐ eko vasūni patyate | girvaṇastamo adhriguḥ ||
सः। हि। विश्वा॑नि। पार्थि॑वा। एकः॑। वसू॑नि। पत्य॑ते। गिर्व॑णःऽतमः। अध्रि॑ऽगुः ॥२०॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर मनुष्यों को कैसा राजा करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनर्मनुष्यैः कीदृशो राजा कर्त्तव्य इत्याह ॥
हे मनुष्याः ! स ह्येको गिर्वणस्तमोऽध्रिगू राजा विश्वानि पार्थिवा वसूनि पत्यतेऽतोऽस्माभिः सत्कर्तव्योऽस्ति ॥२०॥
MATA SAVITA JOSHI
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